नई दिल्ली। पिछले 17 माह के दौरान भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में 35 फीसदी का उछाल आया है, जबकि इस दौरान दुनियाभर में होने वाली एफडीआई में 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के सेक्रेटरी अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में एफडीआई में 35 फीसदी का उछाल आया है, जबकि इसी समय दुनियाभर में एफडीआई में 16 फीसदी की गिरावट रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल सितंबर में मेक इन इंडिया कार्यक्रम को पेश किया गया था और तब से अब तक एफडीआई में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन यदि आप पिछले सात माह में देखेंगे तो एफडीआई में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि एफडीआई मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर गुड्स, लॉजिस्टिक और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में आया है।
नए साल में 45 फीसदी बढ़ सकता है एफडीआई
मौजूदा वर्ष 2015 के दौरान उठाए गए सुधारात्मक कदमों के मद्देनजर सरकार को नए साल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 40-45 फीसदी बढ़ोत्तरी की उम्मीद है, जबकि विदेशी पूंजी आकर्षित के लिए और भी पहलें की जा सकती हैं। साल 2015 के लिए उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 18 फीसदी बढ़कर 26.51 अरब डॉलर रहा है। भारत में 2014 के दौरान 28.78 अरब डॉलर का निवेश हुआ था, जबकि 2013 में यह 22 अरब डॉलर था। डीआईपीपी के सचिव अमिताभ कांत ने कहा कि वैश्विक नरमी के बावजूद 2016 में एफडीआई में 40-45 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी। सरकार ने इस साल कई तरह की नीतिगत पहलें की हैं। इस साल जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक एफडीआई आया उनमें सर्विसेज, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, ऑटोमोबाइल और व्यापार शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी निवेश के लिए खुले 98 फीसदी क्षेत्रों को स्वत: निवेश मार्ग के तहत लाने की योजना बना रही है ताकि कारोबारियों को किसी मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय या उद्योग भवन न जाना पड़े। देश के लिए एफडीआई महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे 12वीं पंचवर्षीय योजनावधि 2012-12 से 2016-17 के बीच बंदरगाह, हवाईअड्डा और राजमार्ग जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए वित्तपोषण के लिए करीब 1,000 अरब डॉलर की जरूरत है। विश्लेषकों ने कहा कि 2016 में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है लेकिन काफी कुछ मेक इन इंडिया पर निर्भर करेगा।