नई दिल्ली। पाकिस्तान के लिए आज फैसले की घड़ी है। दरअसल पेरिस में आज फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक जारी है। इस बैठक में शामिल 38 सदस्य तय करेंगे कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करना है या उसे वॉच लिस्ट से बाहर निकालना है।आज का फैसला इसलिए अहम है क्योंकि इससे ही पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का भविष्य तय होगा।
पाकिस्तान के लिए क्यों अहम है बैठक
आज की बैठक में तय होगा की पाकिस्तान को वॉच लिस्ट या ग्रे लिस्ट से निकालना है या फिर उसे ब्लैक लिस्ट करना है। पाकिस्तान पिछले 3 साल से ग्रे या वॉच लिस्ट में शामिल है। अगर आज पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होता है तो उसकी अर्थव्यवस्था की कमर टूटनी तय है। वहीं अगर वो ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उस पर दबाव और बढ़ जाएगा।
क्यों ब्लैक लिस्ट होने से पाकिस्तान की टूटेगी कमर
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी बुरी स्थिति में है, यहां तक कि उसे कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लेना पड़ रहा है। पाकिस्तान की अधिकांश मदद चीन या फिर आईएमएफ जैसे संस्थानों से कर्ज के जरिए मिल रही है। चीन से निवेश भी अब घटने लगा है। वहीं अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट हो जाता है तो उसे वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी और यूरोपियन यूनियन से आगे कर्ज नहीं मिल सकता। ऐसे में पाकिस्तान के दीवालिया होने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
क्या होता है वॉच लिस्ट में आने का असर
पाकिस्तान 3 साल से वॉच लिस्ट यानि ग्रे लिस्ट में बना हुआ है। वॉच लिस्ट में आने वाले देशों को FATF कुछ शर्तों के साथ निगरानी में रखता है। इस लिस्ट में आने से किसी देश पर आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ जाता है।
क्या हो सकते हैं नतीजे
अब तक के संकेतों की माने तो पाकिस्तान को राहत मिलने की संभावनाएं काफी कम है। पाकिस्तान को कम से कम ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला हो सकता है। FATF ने पाकिस्तान के लिए 27 शर्तें जारी की थीं। इसमें से 21 शर्तें ही पूरी की गई हैं, हालांकि FATF अधिकारियों की माने तो बाकी की 6 शर्ते बेहद अहम है, जिन्हें पूरा करना जरूरी था। इसके साथ ही डेनियल पर्ल के हत्यारे की रिहाई से अमेरिका भड़का हुआ है। वहीं कार्टून विवाद में पाकिस्तान के पक्ष को देखते हुए फ्रांस भी खुश नहीं है। बैठक में इन बातों का असर पड़ सकता है।
क्या है FATF
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स 38 देशों का एक संगठन है, जिसका काम आतंकियों और हिंसा फैलाने वाले गुटों या समूहों को होने वाली फंडिंग पर रोक लगाना है। इसके लिए वो उन देशों की फंडिंग पर सख्ती करते हैं जिनपर आतंकियों को मदद देने का शक होता है।