नई दिल्ली। सरकार अगले महीने से पांच और राज्यों में उर्वरक सब्सिडी लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के जरिये डालेगी। इसके साथ ही इसके तहत आने वाले राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 19 हो जाएगी। उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। इस योजना की शुरुआत पिछले महीने में 14 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में की गयी थी। इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, गोवा, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, असम, मिजोरम, दमन एवं दीव, दादर नागर हवेली, अंडमान निकोबार, दिल्ली और पुडुचेरी शामिल थे। सरकार किसानों को सस्ते उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सालाना 70,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का बोझ उठाती है।
अगले महीने से और 5 राज्यों में योजना होगी लागू
उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव धरम पाल ने बताया कि उर्वरक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण 14 राज्यों में सहज तरीके से काम कर रहा है। हमने पांच बड़े राज्यों पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश को चुना है। इनमें दिसंबर से इसकी शुरुआत कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मुश्किल दौर अब गुजर चुका है। सॉफ्टवेयर बेहतर तरीके से काम कर रहा है। दिक्कतों की पहचान क्रियान्वयन के साथ कर ली गयी थी और हम रोजाना आधार पर उसमें सुधार कर रहे हैं।
शेष 12 राज्यों में जनवरी से लागू हो जाएगी स्कीम
पाल ने कहा कि नीति आयोग ने क्रियान्वयन का आकलन करने के लिए माइक्रोसेव एनजीओ को नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि दिक्कतों को हमारे संज्ञान में लाया जा रहा है और हम उन्हें सही कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे शेष 12 राज्यों में उर्वरक डीबीटी की शुरुआत जनवरी 2018 में की जाएगी। संयुक्त सचिव ने कहा कि सरकार अभी इसके पहले चरण को लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके तहत हम पॉइंट ऑफ सेल मशीनों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कंपनियों को लाभ का हस्तांतरण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उर्वरक छूट का लाभ सीधा किसानों को दूसरे चरण में दिया जाएगा जब नीति आयोग एक उचित मॉडल का सुझाव देगा। उन्होंने कहा कि उर्वरक डीबीटी का असर तब मालूम होगा जब इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दीबाजी होगा। जब तक हम देश भर का पूरे एक साल का आंकड़ा हासिल नहीं कर लेते, हम यह नहीं बता सकते कि इससे वितरण बेहतर हुआ है या खपत कम हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत लाभ का हस्तांतरण रसोई गैस से अलग होगा। रसोई गैस के मामले में उपभोक्ताओं को बाजार की दर पर सिलेंडर की खरीद करनी होती है और छूट का लाभ सरकार उनके खाते में हस्तांतरित कर देती है। कुछ उर्वरकों की कीमत काफी अधिक होने के कारण उर्वरकों में इस तरीके का अनुसरण नहीं किया जा रहा है। उर्वरकों के मामले में किसानों को पॉइंट ऑफ सेल मशीन के जरिये छूट की कीमत पर ही खरीद के लिए उपलब्ध होगा।