नई दिल्ली. रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होने से पहले केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस सीजन से पूरे देश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सीधे खरीदे गए अनाज के दाम का भुगतान सीधे उनके खाते में ही हो। कुछ राज्यों ने तो MSP पर खरीद के लिए किसानों की बायोमेट्रिक पहचान की व्यवस्था लागू की है। अधिकारी बताते हैं कि इससे असली किसानों की पहचान आसान होने के साथ-साथ MSP पर खरीद की व्यवस्था में पारदर्शिता आई है। केंद्र सरकार में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि MSP पर खरीद के लिए किसानों की बायोमेट्रिक पहचान उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार और राजस्थान में शुरू की गई है।
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वहीं, पंजाब में अब तक किसानों को MSP का भुगतान आढ़तियों के जरिए ही हो रहा है, जबकि हरियाणा में MSP का भुगतान किसानों के खाते में आंशिक होता है। लेकिन खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया आगामी रबी सीजन से हरियाणा भी तरह किसानों के खाते में MSP के ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था लागू करने जा रहा है। रबी विपणन सीजन 2021-22 की शुरुआत एक अप्रैल से होगी, मगर देश में गेहूं के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में गेहूं की सरकारी खरीद 22 मार्च से शुरू होने जा रही है।
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केंद्र सरकार में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय IANS से बातचीत में कहा कि MSP पर अनाज खरीद से लेकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थियों के बीच उसका वितरण की पूरी व्यवस्था में पूरी पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि अनाज की खरीद, गोदामों के प्रबंधन से लेकर अन्न वितरण तक के पूरे चेन को एकीकृत करने का प्रया किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "FCI (भारतीय खाद्य निगम) का अपना जो डिपो मैनेजमेंट है वह ऑनलाइन है और राज्य सरकारों के अधिकांश वेयरहाउसेस ऑनलाइन हैं और अन्न वितरण प्रणाली ऑनलाइन है जहां उचित मूल्य की दुकान (राशन की दुकान) से अनाज वितरण के बाद उसका डाटा मिल जाता है। अब इन सबकों निर्बाध तरीके से जोड़ने का काम चल रहा है।"
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इस प्रकार, कहां से अनाज की कितनी खरीद हुई और किस गोदाम में कितना अनाज रखा गया और वहां से किस राशन की दुकान में कितना अनाज पहुंचा और वहां कब कितना बटा, इसकी पूरी निगरानी ऑनलाइन करना आसान हो जाएगा। FCI के गोदामों में अनाज खराब होने को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने बताया कि इसकी मात्रा 0.004 फीसदी से भी कम है। उन्होंने बताया कि अब आधुनिक भंडारण व्यवस्था बनाई जा रही है, जिसके तहत 43 स्थानों पर साइलोज बनाए जा रहे हैं।