सर्दी का मौसम आते ही पूरा उत्तर भारत खासतौर पर दिल्ली जहरीले धुंए की चादर से ढंक जाती है। प्रदूषण के अलावा इस स्मॉग का प्रमुख कारण पंजाब और हरियाणा के खेतों से जलाए गए पराली के धुंए को माना जाता है। पिछले कुछ सालों से सरकार भी पराली के निपटान में किसानों की मदद करने की कई योजनाएं शुरू कर चुकी है। लेकिन किसानों की ओर से सहयोग न मिलने के कारण इस साल भी प्रदूषण पर खास लगाम नहीं लगाई जा सकी है।
कृषि कानूनों के विरोध के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में किसानों को दिया अहम मैसेज
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में पराली के निपटान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी किसानों को दी। उन्होंने एक किसान की सूझबूझ के बारे में बताया, जिसकी मदद से न सिर्फ वह किसान करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहा है वहीं इसका फायदा क्षेत्र के अन्य किसानों को भी मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि हरियाणाा के कैथल के किसान वीरेंद्र यादव आस्ट्रेलिया में रहा करते थे। दो साल पहले वे भारत आए। पराली जहां दूसरे किसानों के लिए समस्या थी और वे मनमाने तरीके से उसे जला देते थे। वहीं वीरेंद्र यादव ने इसे अवसर में बदल दिया। वीरेंद्र ने पुआल की गांठ बनाने वाली एक मशीन खरीदी। इसमें उन्हें सरकारी सहायता भी प्राप्त हुई। इस मशीन से उन्होंने पराली के गठ्ठे बनाने शुरू कर दिए।
1.5 करोड़ का किया कारोबार
खेतों से पराली के गठ्ठे बनाकर उन्होंने एग्रो एनर्जी प्लांट और पेपर मिल को बेच दिए। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि वीरेंद्र ने पराली के साथ दो साल में 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार कर डाला। इसमें उन्हें 50 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा भी हुआ। इसका फायदा उन किसानों को भी हुआ जिनके खेतों से यादव पराली उठाते हैं। हमने कचरे से कंचन की बात सुनी थी लेकिन पराली का निपटान कर पैसा और पुण्य कमाने का यह पहला उदाहरण है।