नई दिल्ली। किसानों की कर्ज माफी को लेकर तेज होती आवाज के बीच रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहा कि इस तरह के कदम अर्थव्यवस्था और ऋण संस्कृति के लिए ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक निर्णय होता है लेकिन दीर्घकाल में इसे न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है। रिजर्व बैंक के एक अन्य पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसान कर्ज माफ किए जाने के बजाय किसानों को कर्ज लौटाने के लिए लंबा समय देना बेहतर विकल्प होगा।
रेड्डी ने कहा कि आज देश का हर राजनीतिक दल किसी न किसी राज्य में इस तरह की पेशकश कर रहा है। उन्होंने कहा कि कर्ज माफी अर्थव्यवस्था और ऋण संस्कृति के लिए ठीक नहीं है। हालांकि, यह राजनीतिक निर्णय है लेकिन दीर्घकाल में इस तरह के फैसलों को सही नहीं ठहराया जा सकता। रेड्डी यहां समावेशी वित्त भारत सम्मेलन 2017 के अवसर पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे।
रंगराजन ने इस अवसर पर कहा कि कर्ज माफ करने के बजाय सरकार को किसानों का कर्ज लौटाने के लिए ज्यादा समय देना चाहिए। इसके अलावा किसी खास वर्ष में जब परेशानी है उस साल कर्ज की किस्त अथवा ब्याज भुगतान से छूट दी जा सकती है।
रंगराजन ने कहा कि,
सबसे पहले परेशानी वाले साल में आप ब्याज भुगतान से छूट दे सकते हैं। दूसरा आप कर्ज का पुनर्गठन कर राहत पहुंचा सकते हैं। इससे किसानों को कर्ज लौटाने को ज्यादा समय मिल जायेगा और अंतत: सफलता नहीं मिलने पर कर्जमाफी के बारे में सोचा जा सकता है।
रिजर्व बैंक के दोनों पूर्व गवर्नर के ये सुझाव इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं कि हाल ही में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में कर्ज माफी की घोषणा की गई। राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्ज माफी की घोषणा कर रहे हैं। गुजरात में चल रहे विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसी तरह की घोषणा की कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह किसानों का कर्ज माफ कर देंगे।
उल्लेखनीय है कि चुनावी वर्ष से पहले 2008 के बजट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 74,000 करोड़ रुपए के किसान कर्ज माफ किए थे।