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दिग्गज टेक कंपनी फेसबुक को लगा तगड़ा झटका, देना होगा 3500 करोड़ डॉलर का जुर्माना

अमेरिका की एक अदालत ने फेसबुक की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उस पर इलिनोइस के नागरिकों के फेशियल रिकग्निशन संबंधी डाटा के कथित दुरुपयोग के खिलाफ 3500 करोड़ डॉलर क्लास-एक्शन मुकदमा दायर किया गया था।

Reported by: IANS
Updated on: October 19, 2019 18:23 IST
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सैन फ्रांसिस्को। अमेरिका की एक अदालत ने फेसबुक की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उस पर इलिनोइस के नागरिकों के फेशियल रिकग्निशन संबंधी डाटा के कथित दुरुपयोग के खिलाफ 3500 करोड़ डॉलर क्लास-एक्शन मुकदमा दायर किया गया था। टेकक्रंच की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में नौ सर्किट वाले न्यायाधीशों की तीन न्यायाधीशीय पैनल ने फेसबुक की याचिका को खारिज कर दिया है। अब मामले की सुनवाई तभी होगी, जब सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया, "मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि इलिनोइस के नागरिकों ने अपलोड किए गए अपने फोटो के फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन करने की अनुमति नहीं दी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी दी गई थी कि 2011 में मैपिंग शुरू होने पर डाटा कितनी देर तक सुरक्षित रहेगा।" फेसबुक को 70 लाख लोगों के हिसाब से प्रतिव्यक्ति 1000 से 5000 डॉलर जुर्माने के तौर पर देना होगा, ऐसे में उस पर लगे जुर्माने की राशि 3500 करोड़ डॉलर तक होगी। फेसबुक ने साल 2011 में फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक का इस्तेमान शुरू किया था, जिसमें फेसबुक के यूजर्स से पूछा जाता है कि उनके द्वारा अपलोड की गई तस्वीर में जो लोग टैग किए गए हैं, उन्हें वे जानते हैं या नहीं।

न्यायधीशों ने कहा, "फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक लोगों के निजता पर हमला है।" वहीं कोर्ट के कागजात के अनुसार, "फेसबुक की फेशियल रिकग्निशन तकनीक इलिनोइस के बायोमेट्रिक इंफरेमेशन प्राइवेसी एक्ट (बीआईपीए) का उल्लंघन करता है।" वहीं इस बारे में फेसबुक ने बयान दिया है कि "फेसबुक ने हमेशा लोगों को फेस रिकग्निशन तकनीक के उपयोग के बारे में बताया है और उन्हें इसे नियंत्रित करने के बारे में भी बताया गया है। फिलहाल हम अपने पास बचे विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं और अपना बचाव करते रहेंगे।"

फेसबुक दुनिया के शीर्ष 10 सर्वश्रेष्ठ ब्रांडों में नहीं

फेसबुक ने वैश्विक ब्रांड कंसल्टेंसी इंटरब्रांड की सर्वश्रेष्ठ शीर्ष 100 ब्रांडों की वार्षिक रैंकिंग में दुनिया के 10 सबसे मूल्यवान ब्रांडों के बीच अपना स्थान खो दिया है। गोपनीयता घोटालों और साल-दर-साल की जांच से प्रभावित होने के चलते ऐसा हुआ है। फेसबुक गिरकर 14वें पायदान पर आ गई है। दो साल पहले तक सोशल नेटवर्किं ग की दिग्गज कंपनी इस सूची में 8वें स्थान पर थी, जिसे 'तेजी से सरहाया' जा रहा था।

100 सर्वश्रेष्ठ ब्रांडों की सूची में पहला स्थान एप्पल का है, जिसके बाद गूगल और अमेजन शामिल हैं। माइक्रोसॉफ्ट चौथे, कोका कोला पांचवें और सैमसंग सूची में छठे स्थान पर रही। सातवें स्थान पर टोयोटा, मर्सिडीज आठवें, मैकडॉनल्ड्स नौवें और डिज्नी 10वें स्थान पर रही।

फेसबुक को तोड़ने की वकालत करते हुए अमेरिकी सॉफ्टवेयर दिग्गज कंपनी सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनिओफ ने सोशल नेटवर्किं ग प्लेटफॉर्म को 'नई सिगरेट' बताया है, जो बच्चों को नशे का आदी बना रही है। बेनिओफ ने कहा कि अब कंपनी की जवाबदेही तय होनी चाहिए। कमला हैरिस और एलिजाबेथ वारेन जैसे कई अमेरिकी सीनेटर्स ने भी फेसबुक को तोड़ने की वकालत की है। अमेरिका में लगभग 40 राज्य अटॉर्नी जनरल ने फेसबुक के खिलाफ जांच में शामिल होने का फैसला किया है।

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