नई दिल्ली। फेसबुक ने चुपचाप और बहुत ही चतुराई से भारत में अपना हाइपरलोकल सर्विस प्लेटफॉर्म लॉन्च कर दिया है। इसे 10 लाख करोड़ रुपए वाले हाइपरलोकर सर्विसेस मार्केट को टारगेट करने के लिए डिजाइन और डेवलप किया गया है। भारत में यह मार्केट अभी तक अनऑर्गेनाइज्ड है और इसमें काफी संभावनाएं भी हैं।
फेसबुक के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है कि अभी हम लोगों के लिए एक ऐसे रास्ते का परीक्षण कर रहे हैं, जिससे वे अपनी रुचि के और अधिक पेजों को आसानी से खोज सकें। इसके अलावा कुछ प्रमुख खिलाड़ी जैसे अर्बनक्लैप, क्विकरसर्विसेस, हाउसजॉय और जिम्बर जैसे कुछ स्टार्टअप्स हैं, जो इस सेक्टर में काम कर रहे हैं, लेकिन यह बहुत बड़ी कंपनी नहीं हैं। भारत में 150 से 250 ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं, जहां हाइपरलोकल सर्विसेस उपलब्ध करवाई जा रही हैं। अब फेसबुक ने इस सेगमेंट पर अपना कब्जा जमाने की पूरी तैयारी कर ली है।
क्यों यह फेसबुक का मास्टरस्ट्रोक है?
अभी तक फेसबुक पर तकरीबन 20 लाख बिजनेस पेज हैं और उसका नया हाइपरलोकल प्लेटफॉर्म एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए इस डाटा का इस्तेमाल करेगा। इसके जरिये फेसबुक पहले सभी सूचनाएं एकत्रित करेगा और सर्च इंजन के माध्यम से इन्हें यूजर्स के सामने पेश कर देगा। अभी तक, फेसबुक सर्विसेस प्लम्बर्स, स्पा एंड ब्यूटी केयर, इवेंट प्लानिंग, पेट सर्विसेस, मेडीकल एंड हेल्थ, आर्ट्स एंड मार्केटिंग, ऑटोमोटिव और बिजनेस सर्विसेस कैटेगरी में 80 तरह की सर्विस ऑफर कर रही है।
यूजर की लोकेशन के आधार पर फेसबुक वहां उपस्थित सभी सर्विसेस की लिस्ट तैयार कर उसे उपलब्ध करा देगा। यहां ध्यान देने की बात यह है कि फेसबुक के पास ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स का बहुत बड़ा डाटाबेस पहले से ही मौजूद है, इसलिए वह आसानी से लोकेशन के आधार पर उनकी पहचान कर पाएगा और इसकी मदद से वह इस मार्केट में बहुत जल्द ही एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर लेगा।
लेकिन कैसे होगा मोनेटाइजेशन?
फेसबुक ने अपनी इस नई सर्विस के मोनेटाइजेशन के बारे में अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है। उदाहरण के लिए, क्लासीफाइड साइट्स जैसे सुलेखा और जस्टडायल अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड होने के लिए कुछ चार्ज वसूलते हैं, जबकि अन्य जैसे अर्बनक्लैप प्रत्येक ऑर्डर पर कमीशन लेता है। एक अनुमान के मुताबिक, ऑनलाइन सर्विसेस प्रोवाइडर्स और प्लेटफॉर्म प्रतिदिन तकरीबन 6000-7000 ऑर्डर हासिल करते हैं, लेकिन अधिकांश सर्विस प्रोवाइडर्स अभी भी ऑफलाइन हैं। भविष्य में, फेसबुक पहले रैंक में लिस्टेड होने के लिए कुछ फीस वसूल सकता है या वह सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ सीधे मैसेंजर चैट के जरिये कस्टमर्स से बात करने पर कुछ सर्विस चार्ज भी लगा सकता है। फेसबुक ने लॉन्च के साथ अभी कोई चार्ज नहीं लगाया है, इससे उसके प्लेटफॉर्म पर कंज्यूमर और सर्विस प्रोवाइडर्स दोनों ही उसके प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हो सकते हैं। यह सभी को पता है कि प्रोडक्ट सेगमेंट में जहां मार्जिन बहुत कम है, वहीं इसकी तुलना में सर्विस सेक्टर में मार्जिन 20-30 फीसदी तक है। ऐसे में भारत का हाइपरलोकल मार्केट में अब जल्द ही बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
Source: Trak.in