नयी दिल्ली। फैशन ब्रांड फैबइंडिया ने अपने एक विज्ञापन पर मचे हंगामे के बाद अपना एड कैंपेन वापस लेने की घोषणा की है। कंपनी ने दक्षिणपंथी समूहों के विरोध के बाद अपनी नई उत्सव श्रृंखला के एक प्रचार अभियान पर रोक लगा दी है। बता दें कि ‘जश्न-ए-रिवाज’ (परंपरा का उत्सव) के नाम से जारी विज्ञापन को लेकर दक्षिणपंथी समूहों ने ब्रांड पर दिवाली के हिंदू त्योहार को ‘‘विकृत’’ करने का आरोप लगाया था।
विरोध को देखते हुए कंपनी ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि यह दिवाली कलेक्शन नहीं है। दिवाली का कलेक्शन जल्द ही ‘झिलमिल सी दिवाली’ कैंपेन के तहत पेश किया जाएगा। लेकिन इसका अधिक असर देखने को नहीं मिला और फैबइंडिया को सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया गया। कुछ लोगों का कहना था कि कंपनी हिंदू त्योहार में अनावश्यक रूप से धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम विचारधारा को थोप रही है, और इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
ट्विटर पर नौ अक्टूबर को जश्न-ए-रिवाज संग्रह डालने के बाद कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने ब्रांड के बहिष्कार का आह्वान किया और जल्द ही यह अभियान टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘फैबइंडिया में हम हमेशा भारत की असंख्य परंपराओं का जश्न मनाते हैं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘जश्न-ए-रिवाज भारतीय परंपराओं का उत्सव है और यह दिवाली संग्रह नहीं है। हमारे दिवाली संग्रह को ‘झिलमिल सी दिवाली’ कहा जाता है, जो जल्द शुरू होगा।
जश्न-ए-रिवाज भारत में पैदा हुई भाषा उर्दू का एक मुहावरा है।’’ फेबइंडिया के सोमवार को वायरल हुए ट्वीट में कहा गया था, ‘‘प्यार और प्रकाश के त्योहार का स्वागत करने के साथ ही फैबइंडिया का जश्न-ए-रिवाज एक ऐसा संग्रह है, जो खूबसूरती से भारतीय संस्कृति को नमन करता है।’’
हालांकि, विरोध के बाद इस ट्वीट को हटा दिया गया। भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट में इस विज्ञापन की आलोचना की। इससे पहले टाटा समूह के ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क को एक विज्ञापन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें मुस्लिम ससुराल वालों को हिंदू दुल्हन के लिए गोद भराई का आयोजन करते दिखाया गया था।