नई दिल्ली। देश का निर्यात दिसंबर 2017 में 12.36 प्रतिशत वृद्धि के साथ 27.03 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस वृद्धि में इंजीनियरिंग और पेट्रोलियम उत्पादों का अहम योगदान रहा। वहीं दिसंबर महीने में सोने का आयात सालाना आधार पर 72 प्रतिशत उछलकर 3.39 अरब डॉलर रहा, जिसकी वजह से देश का व्यापार घाटा भी बढ़कर दिसंबर 2017 में 14.88 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 10.55 अरब डॉलर था।
दिसंबर महीने में आयात में सालाना आधार पर 21.12 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया और यह 41.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया। कच्चे तेल का दाम बढ़ने और सोने के आयात में तेजी की वजह से आयात में कुल मिलाकर यह उछाल रहा। वाणिज्य मंत्रालय के आज जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में व्यापार घाटा 14.88 अरब डॉलर रहा। आयात और निर्यात का अंतर व्यापार घाटा कहलाता है। व्यापार घाटा एक साल पहले इसी माह की तुलना में 41 प्रतिशत ऊंचा है।
मंत्रालय ने कहा कि अगस्त, 2016 से दिसंबर, 2017 तक निर्यात एक महीने को छोड़कर लगातार सकारात्मक दायरे में रहा है। अक्टूबर, 2017 में निर्यात 1.1 प्रतिशत घटा था। दिसंबर में इंजीनियरिंग वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ा। हालांकि, इस दौरान रेडीमेड गारमेंट्स का निर्यात आठ प्रतिशत घटकर 1.33 अरब डॉलर रह गया।
समीक्षाधीन अवधि में सोने का आयात 71.5 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी के साथ 3.39 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो दिसंबर, 2016 में 1.97 अरब डॉलर रहा था। इसी तरह पेट्रोलियम उत्पादों तथा कच्चे तेल का आयात भी 35 प्रतिशत बढ़कर 10.34 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 7.66 अरब डॉलर रहा था।
मंत्रालय ने कहा कि बीते महीने वैश्विक स्तर पर ब्रेंट क्रूड के दाम एक साल पहले की तुलना में 18.75 पतिशत बढ़े हैं। अप्रैल से दिसंबर, 2017-18 के दौरान कुल निर्यात 12.05 प्रतिशत बढ़कर 223.51 अरब डॉलर रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 199.46 अरब डॉलर रहा था।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में आयात 21.76 प्रतिशत बढ़कर 338.36 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 277.89 अरब डॉलर रहा था। इस अवधि में व्यापार घाटा बढ़कर 114.85 अरब डॉलर रहा। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार नवंबर, 2017 में सेवाओं का निर्यात 15.39 अरब डॉलर और आयात 9.64 अरब डॉलर रहा। इस दौरान सेवाओं के व्यापार में संतुलन 5.74 अरब डॉलर देश के पक्ष में रहा।