नई दिल्ली। वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने मंगलवार को कहा कि देश का निर्यात जोर पकड़ रहा है और चालू वित्त वर्ष में इसमें अच्छी वृद्धि की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पिछले साल अप्रैल में निर्यात में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी लेकिन धीरे-धीरे चीजें सुधरनी शुरू हुई और निर्यात सकारात्मक दायरे में आया। सचिव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसीलिए, मुझे पूरा भरोसा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में, हम मजबूत वृद्धि के रास्ते पर होंगे। मुझे इसमें कोई भी संदेह नहीं है लेकिन मैं वृद्धि के आंकड़े का कोई अनुमान नहीं जताना चाहता’’
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2020 से देश के वस्तु निर्यात में सकारात्मक वृद्धि जारी है। इस साल मार्च में निर्यात 60.29 प्रतिशत बढ़कर 34.45 अरब डॉलर रहा। हालांकि, 2020-21 में निर्यात 7.26 प्रतिशत घटकर 290.63 अरब डॉलर रहा। अमेरिका और चीन के साथ व्यापार अंतर के बारे में पूछे जाने पर, सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष की स्थिति रही जबकि चीन के साथ व्यापार घाटे में सुधार हुआ है। अमेरिका को भारत का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 में 53 अरब डॉलर और 2020-21 में 51 अरब डॉलर रहा। वहीं अमेरिका से आयात 2019-20 में 35.8 अरब डॉलर और 2020-21 में 28 अरब डॉलर रहा। चीन को भारत का निर्यात 2019-20 में 16.6 अरब डॉलर और 2020-21 में 21.2 अरब डॉलर रहा। वहीं चीन से आयात 2019-20 में 65 अरब डॉलर और 2020-21 में भी मोटे तौर पर इतना ही रहा।
हाल में ही जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक देश का निर्यात इस साल एक से 14 अप्रैल के दौरान बढ़कर 13.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। मुख्य रूप से इंजीनियरिंग और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की वजह से निर्यात बढ़ा है। पिछले साल एक से 14 अप्रैल के दौरान निर्यात का आंकड़ा 3.59 अरब डॉलर रहा था। पिछले साल अप्रैल में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते निर्यात में रिकॉर्ड 60 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में देश का आयात बढ़कर 19.93 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो एक से 14 अप्रैल, 2020 के दौरान 6.54 अरब डॉलर रहा था। मंत्रालय अप्रैल, 2021 के निर्यात के अंतिम आंकड़े मई के मध्य में जारी करेगा। मार्च में निर्यात 60.29 प्रतिशत बढ़कर 34.45 अरब डॉलर रहा था। बीते पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में निर्यात 7.26 प्रतिशत घटकर 290.63 अरब डॉलर रहा था।