नयी दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि इंजीनियरिंग, चावल, ऑयल मील और समुद्री उत्पादों समेत विभिन्न क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही में उछलकर 95 अरब डॉलर रहा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-जून तिमाही में वस्तुओं का निर्यात 82 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में निर्यात 51 अरब डॉलर था। जबकि इसी वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में निर्यात 90 अरब डॉलर रहा था। पिछले महीने देश का निर्यात 47 प्रतिशत उछलकर 32 अरब डॉलर रहा था। गोयल ने कहा, ‘‘इस साल अप्रैल-जून तिमाही में देश का वस्तुओं निर्यात किसी तिमाही में अबतक का सर्वाधिक है।’’ उन्होंने कहा कि मंत्रालय चालू वित्त वर्ष में 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिये सभी संबद्ध पक्षों के साथ मिलकर काम करेगा।
रिजर्व बैंक ने निर्यातकों के लिये ब्याज सब्सिडी योजना को 30 सितंबर 2021 तक बढ़ाया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निर्यातकों को माल लदान से पहले और बाद की अवधि के लिए दिए जाने वाले निर्यात रिण पर ब्याज सब्सिडी की अवधि तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 तक कर दी है। बैंक के इस निर्णय से निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी। इस योजना को अप्रैल में 30 जून 2021 तक के लिए बढ़ाया गया था।
रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘भारत सरकार ने निर्यात माल लदान से पहले और लदान के बाद में दिये जाने वाले रुपया निर्यात रिण पर ब्याज योजना की अवधि के विस्तार को मंजूरी दे दी है। यह योजना इसी आकार और आधार के साथ तीन महीने यानी 30 सितंबर 2021 तक लागू रहेगी।’’
इसमें कहा गया है कि योजना का विस्तार एक जुलाई 2021 से 30 सितंबर 2021 तक किया गया है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन्स (फियो) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए एक बयान में कहा, ‘‘इससे देश के चिन्हित निर्यात क्षेत्रों को अंतराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा, क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी और वे निर्यात बढ़ा सकेंगे।’’
उन्होंने इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का आभार जताया। उन्होंने उनसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए ब्याज सहायता योजना का विस्तार करने की अपील भी की। फियो अध्यक्ष ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र की इकाइयां अब भी मुनासिफ दर पर कारोबार के लिए कर्ज के अभाव का सामना कर रही हैं।