नई दिल्ली। निर्यात के मोर्चे पर सरकार को राहत नहीं मिल रही है। देश से वस्तुओं के निर्यात में लगातार 11वें महीने अक्टूबर में भी गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर में निर्यात 17.53 फीसदी गिरकर 21.35 अरब डॉलर रहा है। इससे पहले सितंबर माह में 24.33 फीसदी गिरावट आई थी और उस समय कुल निर्यात 21.84 अरब डॉलर रहा था। विदेशों में मांग की कमजोरी खास कर पेट्रोलियम उत्पाद, लौह अयस्क और इंजीनियरिंग उत्पादों की मांग सुस्त रहने से गिरावट ज्यादा आई है। यदि निर्यात का यही ट्रेंड आगे भी जारी रहता है तो 2015-16 में निर्यात के 300 अरब डॉलर के आंकड़े को भी छूना मुश्किल होगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में आयात वार्षिक आधार पर 21.15 फीसदी घटकर 31.12 अरब डॉलर रहा है। इससे पहले सितंबर माह में भी आयात 25.42 फीसदी घटकर 32.32 अरब डॉलर रहा था। आयात में आई इस गिरावट के कारण देश का व्यापार घाटा अक्टूबर में घट कर 9.76 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल इसी माह में 13.57 अरब डॉलर था। सोने का आयात भी अक्टूबर माह में 59.5 फीसदी कम होकर 1.70 अरब डॉलर के बराबर रहा है। सितंबर में व्यापार घाटा 10.47 अरब डॉलर था।
आयरन ओर निर्यात में सबसे ज्यादा गिरावट
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में सबसे ज्यादा गिरावट आयरन ओर में दर्ज की गई है। आयरन ओर का निर्यात में 85.5 फीसदी घटा है। दूसरी सबसे बड़ी गिरावट पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स में आई है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात 57 फीसदी घटा है, वहीं इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स में 11.65 फीसदी और जेम्स व ज्वैलरी में 12.84 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है।
पहले सात माह में निर्यात और आयात घटा
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 के पहले सात माह में कुल निर्यात 17.62 फीसदी घटकर 154.29 अरब डॉलर का रहा है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 187.2 अरब डॉलर का था। चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह में व्यापार घाटा कम होकर 77.76 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 86.26 अरब डॉलर था।
निर्यातकों में छाई मायूसी
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आॅर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष आरसी रल्हन ने कहा कि मौजूदा रुख को देखते हुए और मामूली सुधार को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष में 300 अरब डाॅलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लगता है। उन्होंने कहा कि अविलंब ब्याज सहायता योजना की घोषणा और सौदे की लागत से जुड़े मुद्दों के निपटान से कठिन वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में निर्यात को कुछ मदद मिल सकती है। इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने निर्यात आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अप्रैल- अक्टूबर में गिरावट निश्चित तौर पर चिंता की बात है और निकट भविष्य में सुधार के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं।