नई दिल्ली। सरकार निर्यातकों के लंबित वस्तु एवं सेवा कर (GST) रिफंड को नवंबर के अंत तक पूरी तरह लौटा देगी। इसके साथ ही अगले छह महीनों तक निर्यात पर कोई कर नहीं लगेगा। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने इसकी जानकारी दी। GST परिषद द्वारा निर्यात मामलों के लिए GST से पहले की कर प्रणाली में ही लौटने के निर्णय के कारण ये कदम उठाए गए हैं। अधिया ने कहा कि जुलाई-अगस्त के दौरान एकीकृत GST के तहत 67 हजार करोड़ रुपए जमा होने का अनुमान है। इनमें से महज पांच-दस हजार करोड़ रुपए निर्यातकों का रिफंड लंबित है।
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उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों के लिए निर्यात पर कोई कर नहीं देना होगा। अगले साल एक अप्रैल से ई-वॉलेट सेवा की शुरुआत की जाएगी जिसके तहत निर्यातकों को सांकेतिक क्रेडिट दिया जाएगा। इस क्रेडिट का इस्तेमाल GST के भुगतान में किया जा सकेगा तथा यह हस्तांतरणीय होगा।
अधिया ने कहा कि,
छह महीने की अवधि के लिए हम GST से पहले की व्यवस्था में लौट रहे हैं। पुरानी व्यवस्था के तहत विनिर्माण निर्यातकों और निर्यात के लिए विनिर्माण करने वालों को कोई कर भुगतान नहीं करना होता था। अत: अब शिकायत का कोई कारण नहीं है।
तैयार वस्तुओं का निर्यात करने वालों को मामूली 0.10 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा क्योंकि वे खुद विनिर्माण नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि GST के तहत तैयार वस्तुओं के निर्यातकों को पूरे कर का भुगतान करना होता है तथा इसके बाद वह रिफंड का दावा कर पाते हैं। हालांकिए वे विभिन्न विनिर्माताओं से वस्तुओं का संग्रह भर करते हैं और उसका निर्यात करते हैं। यही समस्या की बात थी लेकिन अब इसे दूर कर लिया गया है।
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यह पूछे जाने पर कि कब तक निर्यातकों के रिफंड का मामला सुलझा लिया जाएगा, अधिया ने कहा कि इसे एक या दो महीने में सुलझा लिया जाएगा।