मुंबई। इंडस्ट्री बॉडी और कंसल्टिंग कम्पनीज ने सरकारी सेवाओं पर नए सर्विस टैक्स पर आपत्ति जताई और कहा कि इस पहल से काफी विवाद पैदा हो सकता है। अर्नस्ट एंड यंग के भागीदारी उदय पिंपरीकर ने कहा, सरकारी सेवाओं पर सेवा कर लगाने से कराधान के मोर्चे पर उल्लेखनीय असर होगा और पूरी अवधारणा अस्पष्ट होने के कारण इससे भारी संख्या में विवाद होगा। आम बजट 2016-17 में सेवा कर का दायरा बढ़ा दिया गया जिसमें जनता और कंपनियों को प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाएं शामिल किया गया। इन सेवाओं में पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाना आदि शामिल है। विभिन्न संबद्ध पक्षों की ओर से प्रस्तुति के बाद सरकार ने व्यक्तियों को कर से छूट दे दी। नया सेवा कर ढांचा एक अप्रैल से लागू हो चुका है।
पिंपरीकर ने कहा, हो सकता है, सरकारी सेवा कर लागू करने का समय उचित न हो। व्यापार जैसे अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र हैं जो क्रेडिट का दावा करने के अधिकारी नहीं है। इसलिए यह कर बेवजह अर्थव्यवस्था पर निरंतर प्रभाव बढ़ा सकता है। पिंपरीकर ने कहा कि ज्यादातर देशों में जहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू है वहां सरकारी सेवाओं पर ऐसे कर नहीं लगते। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड जैसी अर्थव्यवस्थाओं में भी जहां ऐसे सेवा कर लागू हैं, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि इसका निरंतर कोई असर नहीं होता क्योंकि वहां सर्वव्याप्त जीएसटी प्रणाली है और जो कर लगाया जाता है वह क्रेडिट के तौर पर उपलब्ध होता है जिसकी भरपाई हो जाती है। यदि क्रेडिट की भरपाई नहीं हो पाती तो इसे रिफंड कर दिया जाता है।
सरकार द्वारा 13 अप्रैल को जारी स्पष्टीकरण के मुताबिक सरकार या स्थानीय प्राधिकार द्वारा किसी कारोबारी इकाई को प्रदत्त किसी भी तरह की सेवा पर एक अप्रैल से कर लगा दिया गया है। इससे पहले सरकार और स्थानीय प्राधिकार द्वारा किसी कारोबारी इकाई को दी जाने वाली सहयोगी सेवाओं पर ही कर लगाया गया था। सरकार ने यह भी साफ किया कि व्यक्तियों को पासपोर्ट, वीजा, ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र आदि जारी की जाने वाली सेवाओं पर कर से छूट दे दी गई है और कारोबारी इकाइयों को सिर्फ जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र से छूट मिली है। एसोचैम के जे के मित्तल ने कहा, जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र व्यक्तियों के लिए है। सरकार ने यह सफ नहीं किया है कि किस पर कर लगाया गया है और किस पर छूट है।