गुड़गांव। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन करेगी। इसके अलावा सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों के लिए कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईसॉप) पर भी विचार कर रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को ज्ञान संगम के द्वितीय संस्करण के समापन के मौके पर हा कि देश में बड़ी संख्या में बैंक होने के बजाय मजबूत बैंकों की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अनुमानित करीब 8 लाख करोड़ रुपए के एनपीए( नॉन पर्फोर्मिंग असेट) की समस्या से निपटने के लिए कर्ज वसूली ट्रिब्युनल्स से जुड़े कानून को मजबूत बनाया जाएगा।
‘King of Bad Times’: एसबीआई ने डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल का किया रुख, कहा माल्या की हो गिरफ्तारी
बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए बनेगा एक्सपर्ट ग्रुप
जेटली ने कहा कि ज्ञान संगम में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई। बैंकरों ने इसमें सुझाव दिया है कि इस मुद्दे को देखने के लिए जल्द ही एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इस सुझाव पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि देश को बड़ी संख्या में बैंकों से ज्यादा मजबूत बैंकों की जरूरत है। ये बड़े बैंक होने चाहिए जो स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। ज्ञान संगम में बैंकिंग क्षेत्र के सुदृढीकरण के विचार को पुरजोर समर्थन मिला है।
ह भी पढ़ें: निवेशकों को फंसा कर खुद निकले माल्या, किंगफिशर में अटकी हैं 2 लाख लोगों की कमाई
बैंक कर्मचारियों के लिए ईसॉप
उन्होंने कहा कि बैठक में सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों को ईसॉप से पुरस्कृत करने का भी सुझाव दिया गया। जेटली ने कहा, सरकार ईसॉप पर विचार कर रही है। काम काफी आगे बढ़ चुका है। यह मांग लंबे समय से रही है और इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
एनपीए पर सख्त हुई सरकार
बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए की स्थिति पर जेटली ने कहा कि बैंक संकटग्रस्त कर्ज की वसूली के कदम उठा रहे हैं। जहां तक वसूली का संबंध है, वसूली के संबंध में जो भी कदम उठाए गए हैं, बैंकों के पास डीआरटी, एसडीआर के जरिए वसूली के विभिन्न अधिकार हैं। न तो किसी का कर्ज माफ किया गया है और न किया जाएगा। जेटली ने कहा कि मौजूदा वैश्विक वातावरण में बैंकों को सभी उपाय करने होंगे जिससे उनकी बैलेंस शीट दुरस्त हो सके। वहीं कुछ क्षेत्र विशेष निर्णय सरकार को करने की जरूरत है। इनमें बिजली, राजमार्ग, चीनी और इस्पात क्षेत्र से जुड़े निर्णय शामिल हैं।