नई दिल्ली: सोमवार को जब अर्थशास्त्री, शेयर बाजार के विशेषज्ञ और राजनैतिक दल बजट को अपने नजरिये से पढ़ने की कोशिश कर रहे होंगे तब देश का आम आदमी अपनी जेब पर फोकस कर बजट को अपनी कसौटी पर कसने का प्रयास करेगा। वेतनभोगी आम आदमी का सरोकार बजट से तब होता है जब वह नए टैक्स, आयकर छूट की सीमा, टैक्स बचत के लिए नए निवेश विकल्पों को ढ़ूंढता है। ऐसे में वित्त मंत्री जेटली के इस बजट से आम आदमी की उम्मीदें कुछ ऐसी होगी-
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1. बुनियादी छूट में विस्तार (Enhancement of basic exemption)
अगर बुनियादी छूट की सीमा के बारे में बात की जाए तो यह फिलहाल 2.5 लाख रुपए है। अगर इसे 3.5 लाख तक बढ़ाया जा सकता तो इसके जरिए 10,000 रुपए तक की सालाना बचत प्रभावी ढंग से की जा सकती है।
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2. मेडिकल रीइंबर्समेंट (Medical reimbursements)
एक वेतनभोगी कर्मचारी कर बचत के रुप में सालाना 15,000 रुपए तक का मेडिकल रीइंबर्समेंट पाने का हकदार होता है। यह सीमा साल 1999 से नहीं बदली गई है। अधिसूचित कर कानूनों के तहत लागत मुद्रास्फीति को मद्देनजर रखते हुए यह सीमा सालाना 40,000 सालाना तक होनी चाहिए।
तस्वीरों में देखिए पिछली बजट की घोषणाएं
Budget 2015 Recall
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3. बच्चों की पढ़ाई/छात्रावास भत्ता:
मौजूदा समय में बच्चों के पढ़ाई भत्ते पर 100 रुपए प्रतिमाह और छात्रावास भत्ते पर 300 रुपए प्रतिमाह पर कर छूट मिलती है। इस राशि में भी लंबे समय से कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह सीमा बढ़ाकर 1,000 रुपए और 3,500 रुपए की जानी चाहिए, ताकि यह सार्थक जान पड़े।
4. निवेश पर कटौती (Deduction towards investments Section 80C)
इस तरह की कटौती कुछ निश्चित मदों में ही मिलती है मसलन आपके पीएफ पर, बीमा की किश्तों पर और ट्यूशन फीस पर। मौजूदा समय में यह सीमा 1.5 लाख तक है। इसके अतिरिक्त आप राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश कर 50,000 रुपए पर अतिरिक्त कर छूट का दावा कर सकते हैं। आयकर की धारा 80सी के तहत आने वाले निवेश में मिलने वाली छूट जो कि 1.5 लाख है वो पर्याप्त नहीं है, इसे बढ़ाकर 2.5 लाख किया जाना चाहिए।
5. घर का मालिक (Home-owners)
अगर आपने होम लोन ले रखा है तो आवासीय ऋण के ब्याज भुगतान पर आप 2 लाख की सीमा तक कर छूट का दावा कर सकते हैं। शुरु में यह सीमा सिर्फ 1.5 लाख रुपए थी जिसे पिछले साल के बजट में 50,000 बढ़ाकर दो लाख तक कर दिया गया। आज के दौर में जमीनों के बढ़ते दामों को मद्देनजर रखते हुए ब्याज कटौती की सीमा बढ़ाकर 3.5 लाख की जानी चाहिए।