नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की रिकॉर्ड ऊंची कीमत से जनता की परेशानी को देखकर भी सरकार आखिर एक्साइज ड्यूटी में कटौती क्यों नहीं कर रही है। इसका जवाब वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क की दरों को मौजूदा वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य विकासात्मक खर्चों के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए अधोरोपित किया गया है। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि मई में पेट्रोल की कीमत 3.83 रुपये प्रति लीटर, जून में 4.58 रुपये और जुलाई में 2.73 रुपये (16 जुलाई तक) बढ़ी है।
अप्रैल में, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 0.16 रुपये और 0.14 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी। चौधरी ने कहा कि मौजूदा वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे के निर्माण और अन्य विकास कार्यों के लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क अधोरोपित किया गया है।
चालू वित्त वर्ष के पहले तीन माह (अप्रैल-जून) में पेट्रोल और डीजल पर कुल 94,181 करोड़ रुपये का उत्पाद शुल्क वसूला गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क संग्रह में 88 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और सरकार ने कुल 3.35 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया है।
पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.90 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था। इसी प्रकार डीजल पर उत्पाद शुल्क को 15.83 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 31.80 रुपये प्रति लीटर किया गया। मंत्री ने बताया कि पेट्रोल और डीजल की कीमत को क्रमश: 26 जून, 2010 और 19 अक्टूबर, 2014 से नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है। तब से सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनिया इंटरनेशनल प्रोडक्ट प्राइस और अन्य बाजार परिस्थितियों के आधार पर पेट्रोल एवं डीजल की कीमत पर उचित निर्णय लेती हैं।
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