नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) में इस साल से सभी शुल्क समाप्त कर दिए हैं। आरबीआई ने जुलाई में अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक के दौरान ऐलान किया था कि जनवरी 2020 से एनईएफटी और आरटीजीएस पर लगने वाले शुल्क को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन अभी भी ऐसी कई बैंकिंग सेवाएं हैं, जिनके लिए उपभोक्ताओं को शुल्क देना होता है।
नकद जमा पर शुल्क
अधिकांश बैंक तय सीमा से अधिक नकद जमा करने पर शुल्क वसूलते हैं। बैंकों में पहले कुछ सीमा तक नकद लेनदेन मुफ्त होता है लेकिन इस सीमा के बाद लेनदेन पर शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा अपनी होम ब्रांच के अलावा किसी अन्य ब्रांच में खाते में पैसे जमा करने पर भी शुल्क लगता है।
फंड ट्रांसफर
एनईएफटी और आरटीजीएस पर अब कोई शुल्क नहीं लगता है। लेकिन आईएमपीसी लेनदेन पर अभी भी बैंक शुल्क वसूलते हैं। इस सुविधा के लिए शुल्क 1 रुपए से लेकर 25 रुपए तक है।
मिनिमम बैलेंस न रखने पर शुल्क
सभी बैंकों में उपभोक्ताओं को अपने खाते में एक तय न्यूनतम राशि रखनी होती है। यदि खाते में न्यूनतम राशि नहीं है तो बैंक इसके लिए शुल्क वसूलते हैं। एसबीआई के शहरी इलाकों में बैंक का मिनिमम बैलेंस 3000 रुपए है। अगर बैलेंस कम रहता है तो ग्राहकों से 5 रुपए से लेकर 15 रुपए तक का शुल्क वसूला जाता है।
एटीएम, डेबिट कार्ड और चेक
आरबीआई के अनुसार बैंक एक महीने में एटीएम से 5 लेनदेन तक कोई शुल्क नहीं वसूलेंगे। लेकिन इससे ज्यादा लेनदेन पर शुल्क वसूला जाएगा। एसबीआई में एक माह में 8 एटीएम लेनदेन फ्री हैं। डेबिट कार्ड खोने या खराब होने पर नए कार्ड के लिए बैंक 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक का शुल्क वसूलते हैं। चेक क्लीयरिंग पर भी बैंक शुल्क लेते हैं और यदि चेक बाउंस होता है तो उस पर भी शुल्क देय होता है।
अलर्ट और नोटिफिकेशन
बैंक अपने ग्राहकों को एसएमएस अलर्ट और नोटिफिकेशन की सुविधा भी मुहैया कराते हैं। आपको बता दें कि यह सर्विस मुफ्त नहीं होती है बल्कि इसके लिए भी बैंक ग्राहकों से 15 रुपए महीने का शुल्क लेते हैं।
पासबुक
बैंक द्वारा पासबुक जारी करने और बैंक स्टेटमेंट निकालने के लिए भी शुल्क लेते हैं। इसके अलावा हस्ताक्षर के लिए भी शुल्क लिया जाता है। हालांकि ईमेल स्टेटमेंट के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।