नई दिल्ली। एस्सार ऑयल लिमिटेड ने बुधवार को स्थानीय शेयर बाजारों से कंपनी की सूचीबद्धता समाप्ति की प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा की है। कंपनी ने अपने शेयरधारकों को 3,745 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जो भारत के कॉरपोरेट इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी राशि है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि एस्सार ऑयल की प्रवर्तक ऑयल बिडको (मॉरीशस) लिमिटेड को कंपनी की सूचीबद्धता समाप्ति की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी होने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। इसके अनुसार, यह भारतीय कंपनी इतिहास में निजीकरण की सबसे बड़ी बोली है। इसमें एस्सार ऑयल का बाजार पूंजीकरण 38,000 करोड़ रुपए आंका गया है।
कंपनी के आम शेयरधारकों के पास मौजूदा 14.25 करोड़ शेयरों में से प्रवर्तकों ने एक पेशकश के जरिए 10.1 करोड़ शेयरों का अधिग्रहण किया है। हालांकि सूचीबद्धता समाप्त करने के लिए उन्हें 9.26 करोड़ शेयर खरीदने की जरूरत थी। बयान में कहा गया कि कंपनी शेयरधारकों को जो 3,745 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी वह भारत की सार्वजनिक-सूचीबद्ध कंपनी के निजीकरण के लिए अब तक अदा की गई सबसे बड़ी राशि है। एस्सार समूह की आय करीब 35 अरब डॉलर से अधिक है और यहां 60,000 से अधिक लोग काम करते हैं। समूह की प्रमुख कंपनी एस्सार ऑयल वाडीनार रिफाइनरी का परिचालन करती है।
आईएफसीआई ने एनएसई की 0.17 फीसदी हिस्सेदारी बेची
बुनियादी ढांचे के लिए कर्ज देने वाली आईएफसीआई ने एनएसई की अपनी 0.17 फीसदी हिस्सेदारी 29.63 करोड़ रुपए में बेची है। आईएफसीआई ने बुधवार को शेयर बाजारों को यह सूचना दी। इसके अनुसार-आईएफसीआई ने एनएसई में अपने 7500 इक्विटी शेयर (0.17 फीसदी हिस्सेदारी) कुछ खरीदारों को 2,950 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से बेची है। 30 दिसंबर 2015 को हुआ यह सौदा कुल मिलाकर 29.63 करोड़ रुपए का है।