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EPFO ने अप्रैल-अगस्त के दौरान 35,445 करोड़ रुपये के 94.41 लाख दावों का निपटारा किया

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अगस्त अवधि के दौरान ईपीएफओ ने पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 32 प्रतिशत अधिक दावों का निपटारा किया है। वहीं इस दौरान वितरित की गई राशि में भी करीब 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 08, 2020 20:43 IST
EPFO settles 94.41 lakh claims during April-August- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

EPFO settles 94.41 lakh claims during April-August

नई दिल्ली। सेवानिवृत्ति कोष का परिचालन करने वाली संस्था कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चालू वित्त वर्ष के शुरुआती पांच माह के दौरान कुल मिलाकर 35,445 करोड़ रुपये के 94.41 लाख भविष्य निधि दावों का निपटारा किया है। मंगलवार को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अगस्त अवधि के दौरान ईपीएफओ ने पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 32 प्रतिशत अधिक दावों का निपटारा किया है। वहीं इस दौरान वितरित की गई राशि में भी करीब 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

श्रम मंत्रालय के वक्तव्य के मुताबिक, ‘‘कोविड- 19 महामारी के कारण लागू प्रतिबंधों के बावजूद ईपीएफओ 94.41 लाख दावों का निपटारा करने में सफल रहा है। इन दावों के तहत ईपीएफओ ने अपने सदस्यों को अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान 35,445 करोड़ रुपये की राशि वितरित की।’’ कोरोना वायरस संकट के दौरान फंड से जुड़े सदस्यों की नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिये ईपीएफओ ने कोविड- 19 अग्रिम और बीमारी संबंधी दावों को निपटाने की प्रक्रिया काफी तेज की है। इन दोनों श्रेणियों के तहत उसने दावों का निपटान स्वत: मंजूरी प्रणाली के जरिये तेजी से करने की शुरुआत की। इन दोनों श्रेणियों --कोविड- 19 अग्रिम और बीमारी सबंधी दावे- में स्वत: मंजूरी की इस प्रक्रिया में दावों के निपटान में मात्र तीन दिन लगते हैं। जबकि सांविधिक तौर पर दावों के निपटान के लिये 20 दिन का समय होता है। वक्तव्य के अनुसार अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान जितने भी भविष्य निधि दावों का निपटारा किया गया उनमें से 55 प्रतिशत दावे कोविड- 19 अग्रिम लेने वाले थे जबकि 33 प्रतिशत दावे बीमारी से जुड़े दावों के थे। इनमें ज्यादातर आवेदनकर्ता 15,000 रुपये से कम की वेतन श्रेणी वाले थे। संकट की इस स्थिति में भविष्य निधि कोष से समय पर नकदी मिलने से निम्न कमाई वाले कर्मचारी कर्ज जाल में फंसने से बच गये और गरीबों को सामाजिक सुरक्षा समर्थन प्राप्त हुआ।

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