नयी दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भविष्य निधि (पीएफ) में योगदान जमा करने के लिये नियोक्ताओं और कंपनियों को मिलने वाली पांच दिन की मोहलत समाप्त कर दी है। इससे पहले, नियोक्तओं को महीना समाप्त होने पर 15 दिन के भीतर भविष्य निधि योगदान तथा प्रशासनिक शुल्क देना होता था जिसमें पांच दिन की मोहलत दी जाती थी।
इसलिए होती थी भुगतान में देरी
ईपीएफओ से जुड़े अधिकारियों के अनुसार पीएफ राशि जमा करने के लिये मोहलत देने का कारण, कर्मचारियों के वेतन तथा उनकी तीन योजनाओं, कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952, कर्मचारी पेंशन योजना 1995 तथा कर्मचरी डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम 1976 में बकाये का आकलन हाथ से किया जाता था। हाथ से काम होने के कारण बैंक में धन भेजने में अतिरिक्त समय लगता था। ईपीएफओ ने एक परिपत्र में कहा कि फरवरी 2016 से मोहलत अवधि समाप्त कर दी गयी है और चालू महीने का पीएफ फरवरी में जमा किया जाना है।
इंटरनेट के जमाने में छूट देने की जरूरत नहीं
ग्रेस पीरिएड बंद करने के पीछे का कारण बताते हुए ईपीएफओ ने कहा, मौजूदा समय में नियोक्ता इलेक्ट्रानिक रूप से वेतन और ईपीएफ देनदारी की गणना करते हैं। अधिकतर मामलों में यह उसी समय होता है। योगदान राशि भी इंटरनेट बैंकिंग के जरिये जमा की जाती है। इससे पीएफ बकाये के आकलन और उसे बैंक में भेजने में लगने वाला समय कम हुआ है। ईपीएफओ के अनुसार इसीलिए नियोक्ताओं के लिये उपलब्ध पांच दिन की मोहलत वापस लेने का फैसला किया गया है।