नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अक्टूबर महीने में उसकी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में योगदान देने वाली कंपनियों तथा अंशधारकों की संख्या में कमी को लेकर मीडिया के कुछ हिस्से में आयी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। ईपीएफओ श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक सांविधिक निकाय है। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मीडिया के कुछ हिस्से में 18 नवंबर को प्रकाशित आलेख में ईपीएफओ के अंशधारकों और कंपनियों की संख्या में कमी आने की बात कही गयी है। इस संदर्भ में ईपीएफओ साफ तौर पर यह स्पष्ट करता है कि रिपोर्ट में दी गयी सूचना गलत और आधारहीन है।’’
प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर 2020 की तुलना में अक्टूबर 2020 के दौरान ईपीएफओ की सामाजिक योजनाओं में योगदान देने वाली 30,800 कंपनियां घटी हैं जबकि अंशधारकों की संख्या 18 लाख कम हुई है। ईपीएफओ ने कहा कि अंशाधरकों (योगदान देने वाले सदस्यों) और प्रतिष्ठानें को लेकर जो आंकड़े दिये गये हैं, वह उल्लेखित माह के आधिकारिक आंकड़े से मेल नहीं खाते।
बयान के अनुसार प्रकाशित आंकड़ा ईपीएफओ के आंकड़े पर आधारित नहीं है और पूरी तरह गलत है। ईपीएफओ का संगठित क्षेत्र में नौकरियों को लेकर आंकड़ा (पेरोल) प्रत्येक महीने की 20 तारीख को प्रकाशित किया जाता है। किसी महीने में संगठित क्षेत्र में सृजित नौकरियों के आंकड़े इलेक्ट्रॉनिक भविष्य निधि रिटर्न या ईसीआर जमा करने की निर्धारित तिथि के एक महीने बाद लिये जाते हैं। बयान के अनुसार परिणामस्वरूप सितंबर 2020 (निर्धारित तिथि 15 अक्टूबर, 2020) का आंकड़ा 15 नवंबर, 2020 को लिया जाएगा और वहीं अक्टूबर 2020 का आंकड़ा (निर्धारित तिथि 15 नवंबर, 2020) 15 दिसंबर, 2020 को लिया जाएगा। ईपीएफओ के अनुसार नौकरियों के बारे में अंतिम आंकड़ा 20 अक्टूबर, 2020 को जारी किया गया। उससे पता चलता है कि अप्रैल और मई 2020 को छोड़कर अगस्त 2020 तक शुद्ध रूप से नौकरियां बढ़ी हैं। ईपीएफओ का सितंबर महीने का संगठित क्षेत्र में सृजित नौकरियों का आंकड़ा 20 नवंबर, 2020 को प्रकाशित होगा।