नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से देशभर में बढ़ी बेरोजगारी अब धीरे-धीरे घटने लगी है और पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में लोगों को नौकरियां मिल रही हैं। सरकार की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि (EFP) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) को लेकर जो आंकड़े जारी हुए हैं उनके मुताबिक सितंबर के दौरान देशभर में EPF और ESIC के नए सब्स्क्रिप्शन बढ़े हैं। इसका सीधा मतलब है कि लोगों को रोजगार मिलना शुरू हुआ है।
सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते सितंबर के दौरान देशभर में कुल 7,23,602 लोगों ने EFP का सब्सक्रिप्शन लिया है, जो इस साल सबसे अधिक मासिक सब्सक्रिप्शन है। आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से लेकर मार्च 2020 तक देशभर में 3,69,44,650 EPF के नए सब्सक्रिप्शन लिए गए हैं। यानि तीन वर्ष की अवधि में लगभग इतने ही लोगों को रोजगार मिला है।
वहीं ESIC के सब्सक्रिप्शन की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के दौरान देशभर में 11.49 लाख से ज्यादा सब्सक्रिप्शन हुए हैं जो इस वर्ष का सबसे अधिक मासिक आंकड़ा है। सितंबर 2017 से लेकर सितंबर 2020 तक कुल 4.28 करोड़ से ज्यादा ESIC सब्सक्रिप्शन हुए हैं।
किसी कंपनी में अगर कर्मचारी का मासिक वेतन 15 हजार रुपए से कम होता है तो कर्मचारी ESIC के दायरे में आता है और अगर वेतन 15 हजार से ज्यादा है तो कर्मचारी EPF के दायरे में आता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह पिछले दो साल में बढ़ा
समाज में लैंगिक समानता के प्रति जागरुकता बढ़ने के बावजूद एक अध्ययन में कार्यस्थलों पर महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह पिछले दो साल में बढ़ने की बात सामने आयी है। टीमलीज की ‘कारोबार और रोजगार पर मातृत्व लाभ के प्रभाव’ रिपोर्ट के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत से अधिक मर्दों ने माना कि मातृत्व लाभ कानून के बावजूद कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह पिछले दो साल में बढ़ा है और यह उनकी प्रगति में बाधक है।
रिपोर्ट के अनुसार जागरुकता बढ़ने के साथ ही महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अहम जिम्मेदारियां संभाल रही हैं। हालांकि उनके प्रति पूर्वाग्रह उनकी वित्तीय और पेशेवर वृद्धि में बाधक है। रिपोर्ट में 2017 में मातृत्व लाभ कानून में किए गए संशोधन के बाद कॉरपोरेट कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और उनके अभी के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इस कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियोक्ताओं ने कई कदम उठाए हैं।
यह सर्वेक्षण जून-जुलाई के दौरान 10 प्रमुख क्षेत्रों के 337 नियोक्ताओं और 614 कर्मचारियों के बीच किया गया। इसमें बीपीओ, सूचना प्रौद्योगिकी, रियल एस्टेट, ई-वाणिज्य, शिक्षा, बैकिंग, विनिर्माण, खुदरा और पर्यटन क्षेत्र के लोग शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 प्रतिशत मर्दों ने माना कि कार्यस्थल पर महिलाओं के संघर्ष की एक बड़ी वजह लैंगिक पक्षपात में वृद्धि होना है। वहीं 54 प्रतिशत मर्दों ने माना कि यह उनके करियर की वृद्धि में एक बड़ा बाधक है।