इलाहाबाद। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल तक लगभग पूरा देश राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के दायरे में आ जाएगा। उन्होंने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत इस कानून को लागू करने की दिशा में तेजी से प्रगति हुई है। पासवान ने कहा कि एनएफएसए में संशोधन की पहल जल्द होगी ताकि जिला और प्रदेश स्तर के उपभोक्ता मंचों को और सुदृढ़ बनाया जा सके। इसके साथ ही उपभोक्ताओं के लिए असुविधा पैदा करने वाले कई प्रावधानों को इससे हटाया जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में असफल रही कांग्रेस
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा, एनएफएसए वर्ष 2013 में लागू हुआ। तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने कहा था कि वर्ष 2014 तक देश के अधिकांश राज्यों में कानून लागू कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, हालांकि, जब भाजपा नीत राजग सरकार मई 2014 में सत्ता में आई तब तक केवल 11 राज्यों को ही इसके दायरे में आए थे। दो वर्षो से कम समय में हमारी सरकार ने 25 राज्यों को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में ला दिया है। हमें पूरा विश्वास है कि तमिलनाडु को छोड़कर बाकी सभी राज्य अप्रैल तक इस कानून के दायरे में आ जाएंगे।
80 फीसदी ग्रामीण आबादी को मिलेगा फायदा
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सर्वाधिक घनी आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में इस कानून से शहरी आबादी के 64 प्रतिशत और ग्रामीण आबादी के 80 प्रतिशत लोगों को लाभ मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में प्रदेश में केवल 28 जिलों को ही खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में लिया जा सका है और शेष 47 जिलों को अप्रैल तक इस कानून के दायरे में लिये जाने की संभावना है।
जिला उपभोक्ता मंचों की बढ़ेगी ताकत
पासवान के पास उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय भी है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून में प्रस्तावित संशोधन के बाद जिला उपभोक्ता मंचों को एक करोड़ रुपए तक की राशि के विवादों की मध्यस्थता करने का अधिकार होगा जबकि इसकी मौजूदा सीमा 20 लाख रुपए तक की ही है। इसी प्रकार से प्रदेश स्तरीय उपभोकता मंच को फिलहाल एक करोड़ रुपए तक के मामले की सुनवाई करने का अधिकार है उसे बढ़ाकर 10 करोड़़ रपये तक की राशि के विवाद में मध्यस्थता का अधिकार होगा।