नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने शुक्रवार को कहा है कि भारत को वर्ष 2040 तक सालाना 9 लाख करोड़ रुपए (140 अरब डॉलर) का निवेश एनर्जी सेक्टर में करने की जरूरत है, क्योंकि वैश्विक ऊर्जा मांग में किसी दूसरे देश की तुलना में भारत की मांग सबसे ज्यादा रहने की संभावना है। आईईए के कार्यकारी निदेशक फतीह बिरोल ने यहां आईईए के भारतीय ऊर्जा परिदृश्य-2015 को जारी करते हुए कहा कि इसमें से सालाना करीब 7 लाख करोड़ रुपए (110 अरब डॉलर) निवेश की जरूरत ऊर्जा आपूर्ति के क्षेत्र में है और दो लाख करोड़ रुपए की जरूरत ऊर्जा दक्षता सुधारने में है।
उन्होंने कहा, भारत के ऊर्जा परिवर्तन को तीन चीजों- निवेश, निवेश और निवेश की जरूरत है। ऊर्जा नियामकीय व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पहले ही काफी कुछ किया जा रहा है और प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जोकि निवेश आकर्षित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगले 25 साल में 31.5 करोड़ लोग, जो आज अमेरिका की आबादी के लगभग बराबर है, भारत की शहरी आबादी में जुड़ जाएंगे जिससे ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। बिरोल ने कहा कि अगले 25 साल में वैश्विक ऊर्जा मांग में भारत का योगदान किसी दूसरे देश की तुलना में कहीं अधिक होने जा रहा है, जो एशिया और विश्व मंच पर इसके अधिक प्रभाव को रेखांकित करता है। हालांकि 2040 में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की मांग विश्व औसत से नीचे 40 फीसदी होगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2040 तक भारत दुनियाभर में कोयले की मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा। तेल की मांग भी किसी अन्य देश की तुलना में अधिक होगी और 2040 तक यह एक करोड़ बैरल प्रतिदिन पर पहुंच जाएगी। लेकिन इस मामले में बढ़ी हुई मांग की पूर्ति आयात, विशेषकर पश्चिम एशिया से आयात, से होगी, जिससे तेल आयात पर भारत की निर्भरता 90 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी।