नई दिल्ली। रिटायरमेंट फंड संस्था कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने निष्क्रिय पड़े प्रोवीडेंट फंड एकाउंट में जमा राशि पर ब्याज देने का फैसला किया है। इससे पहले 2011 में यूपीए शासन में निष्क्रिय एकाउंट पर ब्याज देने पर पाबंदी लगाई ग्ई थी। ईपीएफओ के सेट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की मंगलवार को हुई 212वीं बैठक के बाद श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि हमने कर्मचारियों के हित में फैसला लिया है और एक अप्रैल 2016 से निष्क्रिय पड़े 9 करोड़ से अधिक एकाउंट पर ब्याज देने का फैसला किया है। इस फैसले से लाखों कर्मचारियों को फायदा होगा,जिनके नौकरी बदलने पर पीएफ एकाउंट काफी समय से निष्क्रिय पड़े थे।
2015-16 के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक कुल 15 करोड़ पीएफ एकाउंट्स में से 9 करोड़ से अधिक एकाउंट निष्क्रिय पड़े हैं, जिनमें 44,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा है। निष्क्रिय एकाउंट वो एकाउंट होते हैं, जिनमें 36 माह तक नियोक्ता और कर्मचारी द्वारा अंशदान नहीं दिया गया हो। ईपीएफओ ने एक अप्रैल 2011 से निष्क्रिय एकाउंट पर ब्याज देना बंद कर दिया था। इसके पीछे मकसद कर्मचारियों को अपना पैसा निकालने या निष्क्रिय एकाउंट से धन सक्रिय एकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए प्रोत्साहित करना था।
ऐसे जानें अपने पीएफ एकाउंट का बैलेंस
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ईपीएफओ ने हाल ही में पीएफ एकाउंट से पैसा निकालने के नियमों को और कठोर बना दिया है। नए नियमों के मुताबिक यदि कोई कर्मचारी, जो दो माह से अधिक बेरोजगार है, अपने ईपीएफ एकाउंट से पैसा निकालना चाहता है तो वह केवल स्वयं के अंशदान और उस पर मिले ब्याज को ही निकाल सकेगा। नियोक्ता का अंशदान और उस पर मिला ब्याज को वह केवल 58 साल की उम्र पूरी करने के बाद ही निकाल सकेगा।
धन निकासी के नियमों को कठोर बनाने के बाद अब यहां इस बात को स्पष्ट करने की जरूरत हो गई थी कि निष्क्रिय पड़े एकाउंट में नियोक्ता के अंशदान और उस पर मिलने वाला ब्याज भी 58 साल की उम्र तक के लिए लॉक हो चुका है, उस पर ब्याज मिलेगा या नहीं। इससे पहले यदि कोई व्यक्ति दो माह या इससे अधिक समय तक बेरोजगार रहता था तो वह अपनी ईपीएफ एकाउंट से पूरा पैसा निकालने का पात्र होता था।