वोल्फसबर्ग। जर्मन की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन ने गुरुवार को कहा कि वह इस समय जिस ग्लोबल एमिशन स्कैंडल से जूझ रही है उसकी शुरआत 2005 में हुई थी। फॉक्सवैगन निगरानी बोर्ड के प्रमुख हेनस देइतर पोएत्श और मुख्य कार्यकारी मैथीज मुलर ने कहा कि कंपनी के लिए मौजूदा हालात कठिन जरूर हैं लेकिन इससे कंपनी टूटेगी नहीं। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक सबूतों से पता चलता है कि यह घोटाला थोड़े से ही इंजीनियर का काम है।
इस स्कैंडल में मैनेजमेंट बोर्ड नहीं शामिल
पोएत्श ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि निगरानी बोर्ड के सदस्य या मैनेजमेंट बोर्ड के सदस्य इसमें शामिल थे। गौरतलब है कि फॉक्सवैगन इस साल सितंबर में उस समय संकट में घिर गई जब उसने स्वीकार किया कि उसने दुनिया भर में 1.1 करोड़ डीजल इंजनों में एमिशन टेस्ट को धोखा देने वाले सॉफ्टवेयर लगाए। पोएत्श ने कहा कि यह घोटाला किसी एक गलती के कारण नहीं है बल्कि गलतियों की लंबी शृंखला के कारण है। इसकी शुरूआत 2005 में हुई जबकि फॉक्सवैगन ने अमेरिका में अपने डीजल इंजिन वाहन बेचने के लिए बड़ा नया अभियान शुरू किया।
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फॉक्सवैगन 2016 की पहली तिमाही में करेगी रिकॉल
संकट में फंसी जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन ने गुरुवार को कहा कि वह 2016 की पहली तिमाही से 3.24 लाख वाहनों को भारतीय बाजार से वापस मंगाना शुरू करेगी। हालांकि, कंपनी ने सरकार के उत्सर्जन परीक्षणों में धोखाधड़ी करने के लिए कंपनी पर सुनियोजित अपराध के आरोपों को खारिज किया है। कंपनी ने जोर देकर कहा कि भारत में बेची गई उसकी कारों में चकमा देने वाला उपकरण नहीं लगा है और उसने देश में भारत-चरण 4 एमिशन नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।