नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारतीय का इलेक्ट्रॉनिक बाजार दुनिया के सर्वाधिक बड़े बाजारों में एक है और इसके 2020 तक 400 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की संभावना को समझती है, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स और सूचना प्रौद्योगिकी एवं BPM (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत 25 क्षेत्रों में शामिल किया गया है।
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जेटली ने कहा
सूचना प्रौद्योगिकी-सॉफ्टवेयर क्षेत्र को दुनिया भर में माना जाता है और हाल के दिनों में सॉफ्टवेयर विकसित करना और सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़ी सेवाएं (जिनमें ITS, BPO और KPO शामिल हैं) मुहैया कराने वाले उद्योग भारत में सर्वाधिक शक्तिमान एवं जोशपूर्ण क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है।
IT सेक्टर ने सरकार से मांगा सहारा
- एक अधिकारी ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने दुनिया भर में बढ़ रहे संरक्षणवाद एवं वैश्वीकरण विरोधी रुख को देखते हुए सरकार से सहारा देने की मांग की है।
- बजट सत्र से पहले वित्तमंत्री के साथ मंत्रणात्मक बैठक के दौरान यह मांग की गई।
- बाद में वित्त मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान भी जारी किया।
- इसमें कहा गया था कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की प्रकृति तेजी से बदल रही है।
- इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि IT क्षेत्र में शोध एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
- इसलिए सरकार को IT क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा देने की जरूरत है।
- इस उद्योग के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वित्तमंत्री जेटली से यह बात कही।
- बैठक के दौरान IT क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिभागियों से विभिन्न सुझाव प्राप्त किए गए।
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ब्रॉडबैंड की स्पीड बढ़ाने पर भी हुई चर्चा
- भारत में ब्रॉडबैंड की गति एवं पैठ पर एवं देश में वाई-फाई के हॉटस्पॉट्स की संख्या पर भी चर्चा हुई।
- इसमें यह भी कहा गया कि उपभोक्ता के स्तर पर स्मार्टफोन के मूल्य को और कम करने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक लोग ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल कर सकें।
- भारतीय स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्यात बाजार पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
- रोबोटिक्स सेक्टर के एक प्रतिनिधि ने देश में इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार से प्रोत्साहन देने की मांग की।
- अभी इस क्षेत्र का देश में वजूद ही नहीं है।
- लोगों के पास निजी कंप्यूटर हों इसकी खरीदारी के लिए 3-4 प्रतिशत ब्याज पर बैंकों से कर्ज मुहैया कराने का आग्रह किया गया।
- साथ ही इसके मूल्य को आयकर की धारा 80C के तहत घटाने की मांग भी की गई।