नई दिल्ली। देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से बिजली की मांग 2030 तक 69.6 टेरावट प्रति घंटे (69.6 अरब यूनिट) पहुंच जाने का अनुमान है। इससे बिजली कंपनियों को 11 अरब डॉलर की अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद मिलेगी। उद्योग मंडल एसोचैम और अर्न्सट एंड यंग (ईएंडवाई) एलएलपी के संयुक्त अध्ययन में यह बात कही गई है।
इसके अनुसार पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ने से बिजली क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा और उत्सर्जन में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे देश में कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। अध्ययन के मुताबिक बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से बिजली और वितरण कंपनियों की आय बढ़ेगी।
रिपोर्ट में आयातित कोयले पर निर्भरता कम होने, अक्षय ऊर्जा के साथ बिजली के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ने, पीएलएफ (उत्पादन क्षमता और वास्तविक उत्पादन का अनुपात) में सुधार आदि के जरिये देश के बिजली एवं वितरण कंपनियों के मामले में तेजी से हो रहे बदलाव को रेखांकित किया गया है।
इसमें कहा गया है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) मिशन घरेलू विनिर्माण माहौल के विकास और विस्तार पर निर्भर करता है। ईवी आपूर्ति श्रृंखला के अभाव को देखते हुए अनुसंधान और विकास तथा स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं में तत्काल निवेश की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईवी बाजार को गति देने के लिए स्पष्ट नीति दिशा-निर्देश जरूरी है।