आप पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को दोष दें या फिर राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही सब्सिडी की तारीफ करें। कारण कुछ भी हो लेकिन महंगा होने के बाद भी भारतीय ग्राहकों को अब इलेक्ट्रिक वाहन ही पसंद आ रहे हैं। भारत में इलेक्ट्रिक कार से लेकर स्कूटर तक, सभी प्रकार के वाहनों की बिक्री में जोरदार इजाफा आ रहा है। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2021 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 250 प्रतिशत तक का इजाफा दर्ज किया गया है। कंपनियां भी इस रुझान को समझते हुए बेहतर पर्फोर्मेंस वाली लेकिन सस्ती कारें लॉन्च करने पर जोर दे रही हैं।
इस साल खूब बिके इलेक्ट्रिक वाहन
अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की 1.18 लाख यूनिट बिकी हैं। काउंसिल आन एनर्जी, एन्वायरमेंट एंड वाटर एट सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस के सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस की रिपोर्ट के अनुसार कुल बिक्री में करीब आधे यानि 58,264 इलेक्ट्रिक स्कूटर थे। वहीं 59,808 इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर थे। सितंबर में भारत में 34349 इलेक्ट्रिक वाहन बिके, जबकि मई में यह संख्या मात्र 3311 थी। वित्तीय वर्ष 2020-21 में क़रीब 144,000 इलेक्ट्रिक स्कूटर बिके और 88,000 से कुछ ज़्यादा इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा की बिक्री हुई। Tata Motors ने EV सेगमेंट में सितंबर 2021 में 1,078 यूनिट कारों की बिक्री की है। वहीं पिछले साल सितंबर माह में कंपनी ने कुल 308 यूनिट इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री की थी, जिसके चलते इस साल सितंबर में कंपनी की बिक्री में 250 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि, बैटरी की घटती कीमतों और पेट्रोल डीजल की महंगाई के कारण यह तेजी आ रही है।
इंडिया को इलेक्ट्रिक पसंद है
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों की बात करें तो आपको आमतौर पर पेट्रोल वाहनों के मुकाबले दोगुनी कीमत चुकानी पड़ती है। टाटा मोटर्स की एंट्री लेवल सेडान टिगोर की बात करें तो इलेक्ट्रिक वेरिएंट में इस कार को खरीदने के लिए आपको 12 से 13 लाख रुपये खर्च करने होंगे। वहीं पेट्रोल वेरिएंट में इसी टिगोर कार की कीमत 6.44 लाख से शुरू होती है। टाटा की एसयूवी नेक्सन की बात करें तो इसका इलेक्ट्रिक वर्जन 14 से 17 लाख के बीच उपलब्ध है, वहीं इसका पेट्रोल वेरिएंट आपको 7 लाख से कुछ अधिक में मिल जाएगा। हुंडई कोना इलेक्ट्रिक' का दाम 25 लाख रुपये से अधिक है। एमजी कार कंपनी ने भी एक इलेक्ट्रिक कार मार्केट में लांच की है जो 23 लाख रुपये से अधिक की है। कीमतों में भारी अंतर के बाद भी लोग पेट्रोल की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को ही तरजीह दे रहे हैं।
सरकार दे रही हैं वाहन खरीदने से लेकर चार्जिंग पर छूट
केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए कई तरह की छूट दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन फ़ीस माफ़ कर दी है। दिल्ली सरकार पहले 1,000 इलेक्ट्रिक कारों के ख़रीदारों को डेढ़ लाख रुपये का डिस्काउंट दे रही है, मगर शर्त ये है कि कार का बेस प्राइस 15 लाख रुपये से कम हो। दिल्ली सरकार हर महीने बैटरी चार्ज करने के लिए बिजली में 200 यूनिट के पैसे नहीं ले रही है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक सरकारों ने इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माताओं को भी कई तरह की छूट दे रही है। इसके कारण निजी कंपनियां कार और स्कूटर बनाने के कारखाने खोल रही हैं। वाहनों के निर्माण सबसे आगे तमिलनाडु है।
भारत में आने वाली हैं सस्ती इलेक्ट्रिक कारें
भारत में कंपनियां इलेक्ट्रिक विकल्प के साथ हैचबैक कारें पेश करने की तैयारी में हैं। टाटा मोटर्स जल्द ही टियागो को इलेक्ट्रिक अवतार में पेश करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार यह 5 से 7 लाख रुपये के बीच लॉन्च की जा सकती है। यूरोपियन दिग्गज कंपनी रेनॉ भी अपनी छोटी इलेक्ट्रिक कार लाने की तैयारी में है। कंपनी की छोटी कार Zoe EV को कई बार चेन्नई में टेस्टिंग के दौरान देखा गया है। यूरोप में फिलहाल इसकी बिक्री शुरू हो गई है। कंपनी इसे 2022 में भारत में लॉन्च कर सकती है। मारुति की भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक वैगनआर को भी कंपनी इलेक्ट्रिक अवतार में लॉन्च करने की तैयारी में है। इस कार को टेस्टिंग के दौरान कई बार देखा गया है। महिंद्रा की मिनी एसयूवी KUV100 काफी लंबे समय से बाजार में धाक जमा रही है। अब कंपनी इसका इलेक्ट्रिक वर्जन लॉन्च करने जा रहा है।
2030 तक 30% प्रतिशत नई कारें होंगी इलेक्ट्रिक
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कह चुके हैं कि सरकार का इरादा 2030 तक निजी कारों के लिए 30 प्रतिशत, कमर्शियल वाहनों के लिए 70 प्रतिशत और दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए 80 प्रतिशत ईवी बिक्री को पहुंचाना है।उन्होंने कहा कि अगर इलेक्ट्रिक वाहन 2030 तक दोपहिया और कारों के खंड में 40 प्रतिशत और बसों के लिए 100 प्रतिशत के करीब पहुंच जाते हैं तो भारत 3.5 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल की खपत को 156 मिलियन टन कम करने में सक्षम होगा।
कहां बिकती हैं सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें
पिछले साल विश्व स्तर पर 32 लाख इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में से 14 लाख कारों के साथ चीन सबसे आगे रहा। अमेरिका दूसरे स्थान पर था, लेकिन बिक्री पांच लाख कारों से भी कम थी। 2020 में इलेक्ट्रिक कारों की वैश्विक बिक्री 43 प्रतिशत बढ़कर 32 लाख हो गई, जबकि कोरोना महामारी के दौरान कारों की कुल बिक्री में काफ़ी गिरावट आयी है। ये फ़िलहाल कुल कार बिक्री का सिर्फ़ 5 प्रतिशत है।
क्या है भविष्य
इन्वेस्टमेंट बैंक यूबीएस की एक हालिया रिपोर्ट के पूर्वानुमान के अनुसार, 2025 तक वैश्विक स्तर पर बिकने वाली सभी नई कारों में से 20% इलेक्ट्रिक होंगी। यूबीएस का कहना है कि 2030 तक यह 40 फ़ीसदी तक पहुंच जाएगा और 2040 तक दुनिया भर में बिकने वाली लगभग हर नई कार इलेक्ट्रिक होगी।
कंपनियों बनाएंगी सिर्फ इलेक्ट्रिक कारें
महंगी गाड़ियों के सेगमेंट में जैगुआर ने 2025 से केवल इलेक्ट्रिक कार बेचने की योजना बनाई है, 2030 से वोल्वो और पिछले हफ्ते ब्रिटिश स्पोर्ट्सकार कंपनी लोटस ने कहा कि वह 2028 से केवल इलेक्ट्रिक मॉडल बेचेगी। इनसे थोड़ी सस्ती कार बनाने वाली कंपनियों के इरादे भी कुछ ऐसे ही हैं। जनरल मोटर्स का कहना है कि वह 2035 तक केवल इलेक्ट्रिक वाहन बनाएगी, फ़ोर्ड का कहना है कि यूरोप में बेचे जाने वाले सभी वाहन 2030 तक इलेक्ट्रिक होंगे और फ़ोक्सवैगन ने घोषणा की है कि 2030 इसकी बिक्री का 70 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों का होगा। टेस्ला इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है जो 2025 तक फ़ोक्सवैगन को पीछे छोड़ना चाहती है