नई दिल्ली। चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार चुनावी बांड जारी करने की तैयारी में है और इस संबंध में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए पूरी तरह से गोपनीयता बरतने के पक्ष में है। बांड के मुद्रण में उतनी की गोपनीयता बरती जाएगी जितनी की मुद्रा छपाई के मामले में अपनाई जाती है। वित्त मंत्रालय के सूत्र ने कहा कि बांड की वैधता (मियाद) केवल 15 दिन होगी। कोई नया राजनीतिक दल इसका इस्तेमाल धनशोधन गतिविधियों में न कर सके, इसलिए इसे नए राजनीतिक संगठनों को प्रदान नहीं किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, बांड की बिक्री देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से की जाएगी। इनमें से अधिकतर शाखाएं राज्य की राजधानियों और प्रमुख शहरों में है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल चुनावी बांड की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि इस व्यवस्था के आरंभ होने से देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पूरी प्रक्रिया में काफी हद तक पारदर्शिता आएगी। जबकि देनदाता की पहचान गुप्त रहेगी और इनका भुगतान केवल राजनीतिक दलों के अधिकृत बैंक खाते के माध्यम से हो सकेगा।
सूत्र ने कहा कि बांड को अत्यंत गोपानीयता के साथ मुद्रित किया जाएगा। इससे जुड़ी जानकारियां उतनी ही गोपनीय रहेंगी जितनी मुद्रा की छपाई के समय रखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि यह बांड एसबीआई की 8-10 शाखाओं में सबसे अधिक उपलब्ध होगा, जिनमें राज्यों की राजधानी की शाखाएं शामिल हैं। सूत्र ने आगे कहा कि बांड देने वाले की गोपनीयता बरकार रहने से विपक्षी दलों को फायदा मिलेगा, क्योंकि इससे दाता पहचान सामने आने के बारे में चिंता किए बिना चंदा दे पाएंगे। अगर चंदा देने वाले का नाम गोपनीय नहीं रखा जाता तो यह नकद दान को बढ़ावा देता जो व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के विचार के विपरीत होता।
ये चुनावी बांड उन्हीं पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जा सकेंगे, जिनको पिछले चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिला हो। दलों को चुनाव आयोग को एक बैंक खाते की जानकारी देनी होगी और इन बांडों को उसी खाते में 15 दिन के भीतर भुनाया जा सकेगा। सूत्रों ने कहा कि नियमों के मुताबिक, नए राजनीतिक दल इन बांडों को नहीं भुना पाएंगे।