नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) ऊर्जा दक्षता को गांवों में ले जाने और बिजली बिल में कमी के जरिये लोगों की बचत बढ़ाने के इरादे से जल्दी ही ग्रामीण उजाला नाम से नया कार्यक्रम शुरू करेगी। ईईएसएल के प्रबंध निदेशक सौरभ कुमार ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसके तहत गांवों में प्रति परिवार 10 रुपये मूल्य पर तीन से चार एलईडी बल्ब वितरित किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 15 करोड़ ग्रामीण परिवार के बीच एलईडी बल्ब का वितरण किया जाएगा। बिजली मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले उपक्रमों एनटीपीसी, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड की संयुक्त उद्यम कंपनी ईईएसएल की इस योजना में लगभग 50 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण होगा। इससे जहां 12,000 मेगावॉट बिजली की बचत का अनुमान है वहीं कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आएगी।
कंपनी अभी उजाला कार्यक्रम के तहत 70 रुपये प्रति बल्ब की दर से 36 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब का वितरण कर चुकी है लेकिन इसमें से 20 प्रतिशत बल्ब ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित हो पाये हैं। कुमार ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘हम जल्दी ही ग्रामीण उजाला कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। अभी इसकी रूपरेखा पर काम जारी है। इसके तहत गांव में प्रति परिवार 10 रुपये मूल्य पर तीन से चार एलईडी बल्ब वितरित किये जाएंगे। इस योजना को चरणबद्ध तरीके से अगले तीन से छह महीने में देश के सभी गांवों में लागू किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम के लिये केंद्र या राज्यों से कोई सब्सिडी नहीं ली जाएगी और जो भी खर्च होगा, वह ईईएसएल स्वयं करेगी। हम कॉर्बन ट्रेडिंग के माध्यम से लागत वसूल करेंगे।’’ कुमार ने कहा, ‘‘हम गांवों में प्रति परिवार अगर तीन एलईडी बल्ब देंगे तो उसके बदले तीन पुराने बल्ब लेंगे। हम उनका संग्रह करेंगे, उसकी निगरानी होगी कि कितने बल्ब आयें और उसमें कितने पुराने हैं। फिर उन्हें नष्ट किया जाएगा। यह सब संयुक्तराष्ट्र (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्तराष्ट्र मसौदा सम्मेलन के तहत आने वाली स्वच्छ विकास प्रणाली के अंतर्गत) की मंजूरी के तहत होता है और हमें इसके लिये कॉर्बन प्रमाणपत्र मिलता है। इन प्रमाणपत्रों की विकसित देशों में मांग है जहां हम इसे बेचेंगे और एलईडी बल्ब की लागत वसूल करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि कंपनी पहले से उजाला कार्यक्रम चला रही है, उन्होंने कहा, ‘‘हमने उजाला के तहत 70 रुपये की दर से एलईडी बल्ब का वितरण किया है। लेकिन हमने देखा कि 36 करोड़ एलईडी बल्ब में गांवों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। इसका एक कारण उसकी कीमत हो सकती है। गांवों में 70 रुपये भी ज्यादा है। पुडुचेरी, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश ने एलईडी बल्ब पर सब्सिडी देते हुए उसे 10 रुपये की दर पर बेचा था। इन राज्यों में 95 प्रतिशत तक बल्ब गांवों में पहुंचे हैं। इसको देखते हुए हम यह कार्यक्रम बना रहे हैं।’’ इससे लाभ के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश के गांवों में 50 करोड़ उच्च गुणवत्ता के एलईडी बल्ब के वितरण से बिजली की अधिकम मांग में 12,000 मेगावॉट की कमी आएगी जबकि ग्राहकों के बिजली बिल में 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत होगी। इसके अलावा कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आएगी।’’ कुमार ने कहा कि इससे जहां लोगों की बिजली बिल के रूप में पैसे की बचत होगी वहीं एक सतत और बेहतर जीवन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही एलईडी बल्ब की मांग बढ़ने से निवेश भी बढ़ेगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘कॉर्बन ट्रेडिंग और प्रमाणपत्र का मामला संयुक्तराष्ट्र से जुड़ा है। इसमें थोड़ा समय लगता है। लेकिन प्रक्रिया चल रही है। हमें वहां से एक-डेढ़ महीने में मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है।’’ कुमार ने कहा कि अगर यह कार्यक्रम सफल रहा तो हम इसी मॉडल पर गांवों में सस्ती दर पर ऊर्जा दक्ष ट्यूबलाइट और पंखे भी उपलब्ध कराएंगे। ईईएसएल ने उजाला कार्यक्रम के अंतर्गत एलईडी बल्ब के अलावा ट्यूबललाइट और ऊर्जा दक्ष पंखों का भी वितरण किया है। इसके प्रमुख कार्यक्रमों में उजाला के अलावा एसएलएनपी (स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम), स्मार्ट मीटर, इलेक्ट्रिक व्हीकल, ईवी चार्जिंग ढांचागत सुविधा आदि शामिल हैं।