नई दिल्ली। देश में बिजली से चलने वाली कार को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के विपरीत सार्वजनिक क्षेत्र की ईईएसएल ने इलेक्ट्रिक कारों का ऑर्डर 70 प्रतिशत घटाकर 3,000 इकाई कर दिया है। कंपनी ने इसके लिए सबसे बड़े ग्राहक आंध्र प्रदेश को जिम्मेदार ठहराया है।
मौजूदा जगनमोहन रेड्डी सरकार ने पूर्व चंद्रबाबू नायडू सरकार के ऑर्डर को रद्द कर दिया है। एनर्जी इफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने 2017 में 10,000 इलेक्ट्रिक सेडान कार का ऑर्डर टाटा मोटर्स (टिगोर) और महिंद्रा (वेरिटो) को दिया था। लंबी निविदा प्रक्रिया के बाद दिए गए ऑर्डर के तहत इलेक्ट्रिक कार की आपूर्ति मार्च 2019 तक की जानी थी। हालांकि मांग कम होने तथा कुछ अन्य मुद्दों के कारण बाद में आपूर्ति की समय-सीमा को बढ़ाकर मार्च 2020 कर दिया गया।
ईईएसएल के प्रबंध निदेशक सौरभ कुमार ने कहा कि कुल ऑर्डर में से कंपनियों ने अबतक 2,000 इकाइयों की आपूर्ति की है। इसमें से ज्यादातर कारों की आपूर्ति टाटा मोटर्स ने की। ऊर्जा दक्षता पर दो दिवसीय संगोष्ठी में कुमार ने कहा कि हमने यह निर्णय किया है कि मार्च 2020 तक जो भी वाहनों की आपूर्ति की जाएगी, हम उस स्तर पर ऑर्डर को बंद कर देंगे। उन्होंने मार्च तक 1,000 इलेक्ट्रिक कार आने की उम्मीद जताई।
कुमार ने कहा कि इन इलेक्ट्रिक वाहनों में से सर्वाधिक ऑर्डर आंध्र प्रदेश से उस समय मिले थे जब चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री थे लेकिन जगन रेड्डी सरकार ने मई में सत्ता में आने के बाद इन वाहनों की डिलिवरी पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि 2017 में 10,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बोली इस आधार पर मंगाई गई थी कि कुल मांग इतनी होगी और सबसे अधिक ऑर्डर आंध्र प्रदेश से था। लेकिन नई सरकार ने डिलिवरी लेनी बंद कर दी है।
कुमार ने यह भी कहा कि ईईएसएल ने अगली बोली के बारे में कोई निर्णय नहीं किया है क्योंकि कई मौजूदा और नई कंपनियां अलग-अलग मूल्य पर नए मॉडल लाने पर गौर कर रही हैं।