नई दिल्ली। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) ने गुरुवार को कहा कि इस्पात या इस्पात उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि से भारत के इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ेगा जिससे चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़ेगा। ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन रवि सहगल ने कहा, "इस्पात कई क्षेत्रों के लिए कच्चे माल की जननी है।
पिछले कुछ साल में घरेलू बाजार में इसकी कीमतें आसमान छू गई हैं। इसकी मुख्य वजह इस्पात विनिर्माताओं को सरकार के विभिन्न उपायों से दी गई सुरक्षा है जोकि निर्यात के हित में निर्णायक साबित हुआ है।" इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यातकों के शीर्ष संगठन ने कहा कि देश के कुल निर्यात में इंजीनिरिंग उत्पादों का निर्यात का योगदान एक चौथाई है।
संगठन ने वाणिज्य मंत्रालय की गई अपनी पेशकश में कथित तौर इस्पात पर आयात शुल्क बढ़ाने के कदम का विरोध किया और बताया कि पिछले दो साल में किस प्रकार इस्पात की कीमतों में इजाफा हुआ है। काउंसिल ने बताया कि जुलाई 2016 में बायलर क्वालिटी के स्टील प्लेट की कीमत 39.95 रुपये (एक्स स्टॉक यार्ड) थी, जो जुलाई 2018 में 21 फीसदी बढ़कर 51 रुपये हो गई। सहगल ने कहा कि चालू खाते के घाटे को पाटने के लिए जरूरी निर्यात में कटौती करने के बजाय निर्यात बढ़ाने की जरूरत है।