नई दिल्ली। इस बार फेस्टिव के सीजन में समोसे, नमकीन और गरमागरम पूरियों का स्वाद आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। पिछले एक महीने में पाम ऑयल की कीमतों में 10 फीसदी की तेजी आ चुकी है। एनालिस्ट्स और ट्रेडर्स का मानना है कि फिलहाल खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
क्यों महंगा हुआ पाम ऑयल
खाद्य ऑयल में सबसे सस्ता पाम ऑयल है। दक्षिण भारत सहित देश भर में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। एक्सपर्ट्स कहते है कि अल-नीनो का असर इस साल साउथ ईस्ट एशिया के पाम उत्पादक इलाकों पर पड़ा है, इससे प्रॉडक्शन घटने की आशंका है। लिहाजा लगातार पाम ऑयल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है।
अडानी विल्मर के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर आंग्शु मलिक का कहना है कि ग्लोबल मार्केट्स में पाम ऑयल की सप्लाई घटने की आशंका से कीमतें बढ़ी हैं। इसके अलावा दिवाली के दौरान इंडिया में पाम ऑयल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। हम पहले ही महंगे पाम ऑयल का बोझ कंज्यूमर पर डाल चुके हैं। कीमतों में बढ़ोतरी का असर उपभोग पर पड़ेगा और इसकी डिमांड में कमी आएगी।
प्रॉडक्शन में गिरावट की आशंका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडोनेशिया में पाम ऑयल का प्रॉडक्शन 2016 में घटकर 3.10 करोड़ टन रह सकता है। 2015 में यह 3.25 करोड़ टन था। मलेशियाई पाम ऑयल का प्रॉडक्शन भी इस साल घटकर 1.90 करोड़ के नीचे जा सकता है। 2015 में यह 1.99 करोड़ टन था।
सोया ऑयल हुआ 6 फीसदी महंगा
पिछले एक महीने में सोया ऑयल की कीमतें भी 6 फीसदी बढ़ी हैं। ऑयल कंसल्टेंसी फर्म सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बजोरिया ने कहा, ‘सोया ऑयल की कीमतों का असर पाम ऑयल जितना नहीं होगा। सोया ऑयल का इस्तेमाल आमतौर पर अपर और अपर मिडल क्लास के लोग करते हैं। हालांकि, इस सीजन में फिलहाल ग्लोबल सोयाबीन प्रॉडक्शन 314 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है। पिछले सीजन के हिस्टॉरिक हाई से यह 1.8 पर्सेंट कम है, लेकिन फिर भी यह दूसरा सबसे ज्यादा उत्पादन वाला साल है।