नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि एजेंसी एयरसेल मैक्सिस सौदे में मनी-लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका सहित विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी के विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही है। एजेंसी ने कहा, एयरसेल-मैक्सिस सौदे में तत्कालीन वित्त मंत्री (चिदंबरम) द्वारा दी गई एफआईपीबी मंजूरी के सदर्भ में मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत जांच की जा रही है।
एजेंसी ने जारी एक वक्तव्य में कहा, इस मामले में जहां विदेशी मुद्रा प्रवाह 3,500 करोड़ (करीब करीब) था। जबकि उस समय की सरकारी नीति और एफआईपीबी दिशानिर्देश के मुताबिक 600 करोड़ रुपए से अधिक राशि के किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकरण मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति थी।
ईडी ने हाल ही में इस मामले में चल रही अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच की स्थिति रिपोर्ट बंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश की है। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने हाल ही में इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस सौदे को एक सामान्य कामकाज के तहत मंजूरी दी है।
एक वक्तव्य में चिदंबरम ने कहा, एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश के अंकित मूल्य को ध्यान में रखते हुये एफआईपीबी ने मामले को मंजूरी के लिए वित्त मंत्री के समक्ष रखा था। उन्होंने कहा, वित्त मंत्री के तौर पर, सामान्य कामकाज करते हुए मैंने इस सौदे को मंजूरी दी थी।
चिदंबरम की यह टिप्पणी मामले में उच्चतम न्यायालय के केन्द्रीय जांच ब्यूरो को विभिन्न पहलुओं को लेकर चल रही जांच में स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिये कहने के एक दिन बाद आई।