नई दिल्ली। ईरान को उच्च गुणवत्ता वाले बासमती चावल के निर्यात में 1000 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग करेगा। इस चावल को गड़बड़ी कर बीच समुद्र से ही दुबई भेज दिया जाता था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने दोनों एजेंसियों से कहा है कि वे उक्त निर्यात के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग में धन का पता लगाएं और यह भी पता करें कि इसकेा फायदा किसे हुआ।
सूत्रों के अनुसार इस घोटाले को उजागर करने वाले राजस्व आसूचना महानिदेशालय ने इस मामले में प्रासंगिक जानकारी एसआईटी को दी है। एसआईटी इस मामले में जांच की निगरानी कर रही है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एम बी शाह की अध्यक्षता वाली एसआईटी पर देश-विदेश में जमा काले धन के मामलों की जांच की जिम्मेदारी है। सूत्रों ने कहा कि 2014-15 के दौरान दो लाख टन से अधिक बासमती चावल अवैध रूप से दुबई में उतारा गया जबकि इसे ईरान में बंदर अब्बास जाना था। सूत्रों के अनुसार ये निर्यातक चावल लेकर गुजरात के कांडला बंदरगाह जाते थे। इसकेे बाद वे शिपिंग बिल दाखिल कर दिखाते थे कि माल की खेप ईरान को भेजी जा रही है। लेकिन उसे बीच समुद्र से ही दुबई भेज दिया जाता था। इसमें जहाज के परिचालन की भी कथित सहमति रहती थी।
आश्चर्य की बात है कि भारतीय निर्यातकों को उनके माल के लिए भुगतान ईरान से मिलता था। इसमें आयातक और बंदरगाह के अधिकारी माल पहुंचने की बात सूचित कर दिया करते थे और भुगतान के लिए हरी झंडी दे देते थे। सूत्रों का कहना है कि एजेंसियों को नहीं पता है कि दुबई में इस चावल का इस्तेमाल किसने किया। संदेह है कि चावल से मिले धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया हो। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने हाल ही में संसद को इस घोटाले की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि हरियाणा व पंजाब से कम से कम 25 बड़े निर्यातक इस घपले में संलिप्तता के लिए जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में हैं। ईडी व आयकर विभाग, दोनों को इसके मामले में विचार करने को कहा गया है।