नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2600 करोड़ रुपए के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में मुंबई की एक कंपनी के डायरेक्टर और प्रमोटर को गिरफ्तार किया है। इस मामले को देश का सबसे बड़ा बैंक लोन डिफॉल्ट मामला बताया जा रहा है, जिसकी जांच विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही है।
ईडी के अधिकारी ने बताया कि उसने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विजय एम चौधरी को मंगलवार रात गिरफ्तार किया है। चौधरी जूम डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड (जेडडीपीएल) का डायरेक्टर और मुख्य नियंत्रक है। इस मामले में ईडी को इसकी तलाश थी। ईडी का आरोप है कि कंपनी और इसके नियंत्रकों ने 25 बैंकों के साथ 2650 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है।
चौधरी को आज इंदौर में आज एक अदालत में पेश किया जा सकता है। ईडी ने तथाकथित धोखाधड़ी मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर पीएमएलए के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। इस मामले में ईडी ने जुलाई 2015 में अमेरिका के कैलीफोर्निया में 1280 एकड़ जमीन को भी कुर्क किया था।
ईडी ने अपने बयान में कहा है कि चौधरी के नियंत्रण वाली जूम डेवलेपर्स ने गलत तरीके से पांच बैंकों पंजाब नेशनल बैंक, सिंडीकेट बैंक, कैनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक को 966 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। ईडी ने आगे कहा कि यह नुकसान केवल 966 करोड़ रुपए तक ही सीमित नहीं है बल्कि आरोपी ने 25 से ज्यादा बैंकों को धोख दिया और इसमें 2650 करोड़ रुपए की भारी राशि शामिल है।
एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि कंपनी द्वारा दिखाए गए ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट्स केवल पेपर कॉन्ट्रैक्ट्स थे और इन पर कोई काम नहीं किया गया। जेडडीपीएल लगातार गलत जानकारी के आधार पर बैंक गारंटी व काउंटर गारंटी लेती रही। चौधरी और उसके सहयोगी शरद काबरा ने भारतीय बैंकों के साथ धोखा किया, सार्वजनिक धन को देश से बाहर लेकर गए और अवैध रूप से कमाए गए पैसे से विदेशों में संपत्तियां खरीदी।
चौधरी ने अपने और अपने सहयोगी के नाम पर 485 कंपनियां बनाई हैं, जिसे इस मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। चौधरी ने 15 कंपनियां अमेरिका में, तीन-तीन कंपनियां ब्रिटेन और स्वीट्जरलैंड में, सात सिंगापुर में, चार जर्मनी में, नौ यूएई में और दो-दो चीन व जिम्बावे में बनाई हैं। इस मामले में ईडी अब तक कुल 130 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर चुका है।