नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पूरी तरह दिशाहीन हो गई है, स्थिति पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ चुकी है। चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार से सवाल किया कि उसे सत्ता संभाले 19 महीने हो चुके हैं, पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार उपलब्ध कराने और निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने का जो वादा किया था, वह कहां है। चिदंबरम ने कहा सरकार रुकी हुई नजर आती है। संसद में पिछले सप्ताह पेश मध्यावधि आर्थिक विश्लेषण इस बात की स्वीकारोक्ति है कि सरकार वृद्धि को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं रही है।
चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने अनुमान घटाकर करीब 7.2-7.3 फीसदी पर लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो वित्त वर्ष के शुरुआत में लगाए गए 8-8.5 फीसदी वृद्धि अनुमान के मुकाबले काफी कम है। इसके अलावा सरकार ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि वर्ष 2016-17 में 3.5 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा। चिदंबरम ने कहा कि इन सब बातों से स्थिति पर नियंत्रण और समस्या से निपटने की क्षमता का अभाव दिखता है। यह पूरी तरह दिशाहीनता है।
यह पूछने पर कि सरकार कहां कमजोर पड़ रही है, उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता है कि उनका स्थिति पर नियंत्रण है। जो उन्होंने वादा किया था वह रोजगार कहां है, निजी क्षेत्र में निवेश कहां है, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि उनके सरकार में आने पर यह आएगा।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ चुकी है। संप्रग सरकार ने जब सत्ता छोड़ी थी तो वर्ष 2013-14 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी। उन्होंने कहा, 2014-15 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.3 फीसदी या इतनी ही कुछ थी। अब डेढ़ साल बाद हम उसी 7.3 फीसदी के दायरे में अटके नजर आते हैं। इसलिए यह कहना उचित है कि अर्थव्यवस्था पिछले 18 महीने से शिथिल पड़ी है। इसमें कोई वृद्धि या बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आ रहा है लेकिन जो पहले आ रहा था, उससे अधिक नहीं। चिदंबरम ने कहा पिछले 10 साल में सालाना एफडीआई 35-45 अरब डॉलर की दर से आया। इस साल भी हम एफडीआई के तौर पर उतनी ही राशि प्राप्त कर रहे हैं, करीब 45 अरब डॉलर। इस लिहाज से आंकड़े में कुछ असाधारण नहीं है।