नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से शुरू हुई कैश की समस्या अप्रैल 2017 तक पूरी तरह खत्म हो जाएगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2016-2017 में यह बात कहीं गई है। सरकार का कहना है कि नोटबंदी से GDP विकास दर पर पड़ रहा प्रतिकूल असर अस्थायी ही रहेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण 2017 में कहा गया है कि मार्च 2017 के आखिर तक नकदी की आपूर्ति के सामान्य स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। अत: वर्ष 2017-18 में GDP विकास दर 6.75 फीसदी से लेकर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
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नोटबंदी से होंगे ये फायदे और नुकसान
- आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नोटबंदी के शॉर्ट और लॉन्ग टर्म में प्रतिकूल असर और लाभ दोनों ही होंगे।
- नोटबंदी से पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों में नकद राशि की आपूर्ति में कमी और इसके फलस्वरूप GDP ग्रोथ में अस्थायी कमी शामिल है। ॉ
- जबकि इसके फायदों में डिजिटलीकरण में वृद्धि, अपेक्षाकृत ज्यादा कर अनुपालन और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल हैं, जिससे आगे चलकर कर राजस्व के संग्रह और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।
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तस्वीरों में देखिए आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य बातें
Economic Survey 2016-17
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इन सुझावों का किया गया है जिक्र
- आर्थिक सर्वेक्षण में अधिकतम दीर्घकालिक फायदे और न्यूनतम अल्पकालिक प्रतिकूल असर को सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय सुझाए गए हैं।
पहला सुझाव
- इनमें से एक सुझाव यह है कि पुनर्मुद्रीकरण में तेजी लाई जाए और विशेष रूप से नकदी निकासी सीमा को जल्द खत्म करने के साथ-साथ नकदी को जमा राशि में मुक्त रूप से तब्दील करना भी सुनिश्चित किया जाए।
- इससे आर्थिक विकास में आई सुस्ती के साथ-साथ नकदी जमा करने की प्रवृत्ति भी कम होगी।
दूसरा सुझाव
- एक अन्य सुझाव यह है कि डिजिटलीकरण को यह सुनिश्चित करते हुए निरंतर बढ़ावा दिया जाए कि यह बदलाव धीरे-धीरे एवं समावेशी हो और नियंत्रणों के बजाय प्रोत्साहनों पर आधारित हो और इसके साथ ही नकदी बनाम डिजिटलीकरण के प्रतिकूल प्रभावों एवं फायदों में उपयुक्त संतुलन बैठाया जाए।
तीसरा सुझाव
- इसके तहत दिया गया तीसरा सुझाव यह है कि विमुद्रीकरण का अनुसरण करते हुए भूमि एवं अचल संपत्ति को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसके तहत चौथा सुझाव कर दरों और स्टाम्प ड्यूटी में कमी किये जाने के बारे में है।
- अंतिम सुझाव यह है कि एक बेहतर कर प्रणाली स्थापित की जाए, जो और ज्यादा संख्या में आय घोषणा को बढ़ावा दे और अति उत्साहित कर प्रशासन से उत्पन्न भय को कम करे।
देखिए मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की प्रेस कॉन्फ्रेंस लाइव