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तकनीकी नहीं वास्‍तविक है अर्थव्यवस्था में सुस्ती, प्रधानमंत्री रोजगार योजना में देरी से हो रहा है ऋण आवंटन

एसबीआई रिसर्च ने कहा सितंबर, 2016 से अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और यह तकनीकी नहीं बल्कि वास्तविक है। पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम ऋण आवंटन में देरी हो रही है।

Abhishek Shrivastava
Updated : September 19, 2017 18:28 IST
तकनीकी नहीं वास्‍तविक है अर्थव्यवस्था में सुस्ती, प्रधानमंत्री रोजगार योजना में देरी से हो रहा है ऋण आवंटन
तकनीकी नहीं वास्‍तविक है अर्थव्यवस्था में सुस्ती, प्रधानमंत्री रोजगार योजना में देरी से हो रहा है ऋण आवंटन

मुंबई। मंगलवार को दो अध्‍ययन सामने आए, जो देश की अर्थव्‍यवस्‍था और प्रधानमंत्री मोदी की रोजगार योजना की वास्‍तविक से परिचित करवाते हैं। एसबीआई रिसर्च ने कहा है कि सितंबर, 2016 से अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और यह तकनीकी नहीं बल्कि वास्तविक है। वहीं दूसरी ओर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा कराए गए अध्ययन में सामने आया है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ऋण आवंटन में देरी का शिकार हो गया है।

एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था सितंबर, 2016 से सुस्ती में है। चालू वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही में सुस्ती की वजह तकनीकी रूप से लघु अवधि या क्षणिक भर नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सुस्ती से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह अस्थायी है या नहीं। हालांकि, रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट को तकनीकी बताया था। जून तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5.7 प्रतिशत के तीन साल के निचले स्तर पर आ गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुस्ती के इस रुख का हल सरकार द्वारा सार्वजनिक खर्च बढ़ाना है। समय की जरूरत यह है कि खर्च बढ़ाया जाए।

प्रधानमंत्री की रोजगार योजना में देरी से मिल रहा है ऋण  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) विभिन्न स्तरों पर ऋण आवंटन में देरी का शिकार हो गया है। यह बात सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा कराए गए अध्ययन में सामने आई है। यह अध्ययन मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने किया है। इस अध्ययन का लक्ष्य इस कार्यक्रम के प्रभाव का आकलन करना था साथ ही यह पता करना कि इसमें क्या परेशानियां आ रही हैं।

अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि आधार के साथ इसका जुड़ाव करने से प्रशिक्षु की पहचान एवं प्रगति को प्रमाणित किया जा सकेगा। साथ ही कई समस्याओं को भी सामने रखा गया है, जैसे कि ऋण के लिए परस्पर पूछताछ, भौतिक रुप से परीक्षण और मार्जिन धन का समायोजन करना इत्यादि। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि क्षेत्राधिकारियों की उपलब्धता बढ़ाने से इसमें मदद मिलेगी क्योंकि वह एजेंसी और लाभार्थी के बीच कड़ी का काम करते हैं।

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