नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तेजी से फैलती दूसरी लहर और उस पर काबू पाने के लिए विभिन्न राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन के बीच आर्थिक गतिविधियों का पहिया धीमा पड़ने लगा है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नौ प्रतिशत से नीचे रह सकती है। एक सर्वेक्षण में यह कहा गया है।
केयर रेटिंग एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 80 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के चलते गैर-जरूरी सामानों की मांग और निवेश पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना है कि संक्रमण के मामले रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं ऐसे में आर्थिक क्षेत्र में आ रहे सुधार की गति धीमी पड़ने लगी है। जवाब देने वाले प्रत्येक 10 में से करीब करीब सात लोगों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2021- 22 में जीडीपी वृद्धि नौ प्रतिशत से नीचे रह सकती है।
सर्वेक्षण के मुताबिक ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने जो लॉकडाउन लगाया है वह मई अंत तक बना रहेगा। कुल मिलाकर सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि देश में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति का लॉकडाउन ही निदान है। हालांकि, तीन-चौथाई से कुछ अधिक का यह भी मानना है कि वर्तमान लॉकडाउन पिछले साल की तरह कड़ा लॉकडाउन नहीं है।
एक अन्य एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर सामान्य स्थिति में घटकर 9.8 प्रतिशत रह सकती है। यह तब होगा जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर मई में अपने चरम पर पहुंचकर नीचे आ जाती है। लेकिन यदि यह जून अंत तक जारी रहती है तब आर्थिक वृद्धि की गति और कम होकर 8.2 प्रतिशत रह जाएगी।
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