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Feeling better: 2015 से बेहतर होगी 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ, दुनिया ने जताया अपना भरोसा

दुनियाभर में लोगों ने यह भरोसा जताया है कि 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ 2015 की तुलना में काफी बेहतर रहेगी। ऐसा एंड ऑफ द इयर सर्वे के परिणाम बता रहे हैं।

Surbhi Jain
Updated on: January 05, 2016 10:16 IST
Feeling better: 2015 से बेहतर होगी 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ, दुनिया ने जताया अपना भरोसा- India TV Paisa
Feeling better: 2015 से बेहतर होगी 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ, दुनिया ने जताया अपना भरोसा

नई दिल्‍ली। यह सभी के लिए अच्‍छी खबर है। मार्केट रिसर्च कंपनी विन और गैलप के एंड ऑफ द इयर सर्वे के मुताबिक दुनियाभर में लोगों ने यह भरोसा जताया है कि 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ 2015 की तुलना में काफी बेहतर रहेगी। यह सर्वे 31 दिसंबर 2015 को जारी किया गया है। इकोनॉमिक आउटलुक में अधिकांश लोगों ने पॉजीटिव रिस्‍पॉन्‍स दिया है।

इस सर्वे में यह पाया गया है कि 45 फीसदी लोगों ने 2016 में अपने-अपने देश में आर्थिक स्थिति बेहतर रहने के प्रति सकारात्‍मकता दिखाई है। यह सर्वे 68 देशों में 66,000 लोगों के साथ किया गया था। उन्‍होंने कहा है कि 2016 में उनके देश में इकोनॉमिक आउटलुक बेहतर रहेगा। केवल 22 फीसदी लोगों का ऐसा मानना है कि इस साल आर्थिक परिस्थितियां खराब होंगी। शेष 33 फीसदी लोगों ने कोई बदलाव न आने या कोई राय न होने की बात कही। 2015 की तुलना में ऐसा कहने वालों की संख्‍या में 3 फीसदी इजाफा हुआ है। यह इस बात का संकेत भी है कि वह यह महसूस करते हैं कि चीजें बेहतर होंगी। सबसे ज्‍यादा आर्थिक आशावाद के रूप में दुनिया में पश्चिम और साउथ एशिया सबसे बड़े आशावादी बनकर उभरे हैं, जहां 60 फीसदी लोगों ने पॉ‍जिटिव आउटलुक दिया है। ईस्‍ट एशिया में 53 फीसदी और सब-सहारा अफ्रीका में 45 फीसदी लोगों ने 2016 में बेहतर आर्थिक परिदृश्‍य के प्रति सकारात्‍मक विचार प्रकट किए हैं। यूरोपियन यूनियन में सबसे ज्‍यादा नाकारात्‍मकता देखने को मिली। यहां केवल 14 फीसदी लोग आर्थिक परिदृश्‍य में सुधार आने के प्रति आशावान हैं।

सर्वे में यह देखा गया है कि निगेटिव सेंटीमेंट अधिकांश अमीर देशों में सबसे ज्‍यादा है। खुशहाल अर्थव्‍यवस्‍था (सर्वे में इन्‍हें जी5 इकोनॉमी कहा गया है) में केवल 18 फीसदी लोग यह मानते हैं कि 2016 इकोनॉमी के लिए एक बेहतर साल होगा। जबकि उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं (इन्‍हें जी20 इकोनॉमी कहा गया है) और पिछड़े देशों में क्रमश: 54 फीसदी और 40 फीसदी लोगों ने आने वाले साल से अच्‍छी उम्‍मीद की आशा व्‍यक्‍त की है। सबसे ज्‍यादा आशावान देश चीन है, यहां 65 फीसदी लोगों ने उम्‍मीद जताई है कि 2016 में आर्थिक वृद्धि पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगी।

लेकिन जब मैक्रो परिणामों को देखते हैं तो पता चलता है कि जिनके पास सबसे ज्‍यादा संपत्ति है (जी7 देश) वहीं सबसे ज्‍यादा निराशावादी हैं। लेकिन जब माइक्रो परिणाम देखते हैं तो इसके विपरीत परिणाम आता है। मीडियम हाई इनकम और यूनिवर्सिटी डिग्री वाले 34 साल से कम उम्र के पुरुष 2016 के आर्थिक परिदृश्‍य को लेकर सबसे ज्‍यादा आशावान नजर आए। हालांकि ओवरऑल देखा जाए तो इस मामले में भी हिंदुस्‍तानियों को कोई पीछे नहीं छोड़ पाया। यहां 61 फीसदी लोगों ने सकारात्‍मक परिणाम दिए हैं। भारतीय उन लोगों में शामिल हैं, जो 2016 को आर्थिक तौर पर एक अच्छे और बेहतर साल के रूप में देख रहे हैं।

Source: Quartz india

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