नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की सदस्य शमिका रवि का कहना है कि नोटबंदी के बाद देश में कर अनुपालन बेहतर हुआ है, हालांकि इसका बुरा पक्ष यह रहा कि नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया को और बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता था। रवि ब्रूकिंग्स इंडिया में वरिष्ठ फेलो भी हैं। उन्होंने कहा कि कर को और अधिक युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है ताकि कर अनुपालन के बोझ को और कम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी को लागू करने का तरीका निश्चित ही सवाल उठाने लायक है। जैसे कि हम 2,000 रुपये का नोट लाए। यह अपने ही आप ही इस तर्क को खारिज कर देता है कि बड़े मूल्य के नोट हटाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद कर अनुपालन बढ़ा है और इसपर गौर किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 से देश में उच्च मूल्य के पुराने 1000 और 500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके स्थान पर 2,000 और 500 रुपये के नए नोट जारी किए गए। बाद में एक 200 रुपये का नोट भी जारी किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के अनुसार आठ नवंबर 2016 को देश में 15.41 लाख करोड़ रुपये के 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोट चलन में थे जिसमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग प्रणाली में लोग आए।
रवि ने रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े माल एवं सेवाकर कानून को भी युक्तिसंगत बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, विशेषकर रीयल एस्टेट क्षेत्र में। क्या जीएसटी को आगे और अधिक तर्कसंगत बनाया जा सकता है, मेरा मानना है कि ऐसा किया जा सकता है। कर अनुपालन का बोझ घटाया जाना चाहिए।
रुपये में गिरावट के मुद्दे पर रवि ने कहा कि रुपये की कमजोरी को देश की क्षमता में गिरावट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे टूटकर 71 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था।