नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत कारोबारियों और ट्रक परिचालकों को एक अप्रैल से एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार रुपए से अधिक का माल लाने-लेजाने के लिए सबूत के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से प्राप्त किया गया ई-वे बिल साथ में रखना होगा।
इससे पहले यह व्यवस्था एक फरवरी से लागू की जानी थी पर इस बिल को ऑनलाइन हासिल करने में तकनीकी दिक्कत आने पर इसे टाल दिया गया था। माना जा रहा है कि यह कर चोरी रोकने की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे नकदी आधारित व्यापार पर लगाम लगने की उम्मीद है।
माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने प्रणालीगत बाधाओं को पक्के तौर पर दूर करने के लिए अपने पोर्टल पर अलग से ऐसी सुविधा की है, जहां सड़क, रेल, हवाई या जल मार्ग से माल देश के अंदर एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ई-वे बिल सृजित किया जा सकता है। अभी उन्हीं हिस्सों को सक्रिय किया गया है, जिनकी आवश्यकता एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल बनाने हेतु होगी।
एक अधिकारी ने कहा कि अभी हम राज्य के भीतर माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल निकालने की कोशिशों को रोक देंगे। जीएसटी परिषद ने इस महीने निर्णय लिया था कि ई-वे बिल की आवश्यकता एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के लिए एक अप्रैल से तथा राज्य के भीतर एक जगह से दूसरी जगह माल पहुंचाने के लिए 15 अप्रैल से होगी।
प्रणाली को पहले से अधिक दक्ष बनाया गया है तथा अब इससे बिना दिक्कत के प्रतिदिन 75 लाख ई-वे बिल निकाले जा सकते हैं। इस प्रणाली का डिजायन एवं विकास राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) ने किया है। अधिकारी ने कहा कि एनआईसी ने हमें आश्वस्त किया है कि प्रणाली एक अप्रैल से अच्छे से काम करेगी। एनआईसी ने इसका सघन परीक्षण किया है कि अंतिम मौके पर कोई रुकावट नहीं आएगी।
उसने कहा कि जीएसटी नेटवर्क ने ई्-वे बिल निकालने के तरीके जानने के लिए सभी कारोबारियों एवं ट्रक चालकों को पोर्टल पर पंजीयन कराने का सुझाव दिया है। इस सप्ताह की शुरुआत तक ई-वे बिल पोर्टल पर 11 लाख निकाय पंजीकृत हो चुके थे। जीएसटी के तहत 1.05 करोड़ कारोबार पंजीकृत हैं तथा करीब 70 लाख रिटर्न हर महीने दायर किए जाते हैं।