नयी दिल्ली। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ई-वाणिज्य के साथ-साथ औद्योगिक नीतियों पर सक्रियता से काम कर रहा है। दोनों नीतियों के चालू वित्त वर्ष के अंत तक जारी होने की उम्मीद है। डीपीआईआईटी सचिव गुरूप्रसाद महापात्र ने पीटीआई भाषा से कहा, 'व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि दोनों नीतियां चालू वित्त वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएंगी।' उन्होंने कहा कि दोनों नीतियों को लेकर विभाग ने संबंधित पक्षों के साथ कई दौर की बातचीत की है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने फरवरी में ई-वाणिज्य नीति का मसौदा जारी किया था। इसमें सीमा पार आंकड़ों के प्रवाह पर पाबंदी को लेकर कानूनी और प्रौद्योगिकी रूपरेखा स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया था। साथ ही स्थानीय संवेदनशील आंकड़ों के संग्रह या उसके प्रसंस्करण तथा उसे विदेशों में रखने को लेकर नियम एवं शर्तों का प्रस्ताव किया गया था। कई ई-वाणिज्य कंपनियों ने आंकड़ों से संबंधित प्रावधानों को लेकर अपनी चिंता जतायी हैं। विभाग को मसौदे पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और वह सभी विचारों और टिप्पणियों को देख रहा है।
डीपीआईआईटी सचिव महापात्र ने कहा, 'हम दोनों नीतियों पर सक्रियता से काम कर रहे हैं।' चूंकि नीति की रूपरेखा में आंकड़ों से संबंधित कई प्रावधान है, अत: विभाग व्यक्तिगत आंकड़ा संरक्षण विधेयक पर भी ध्यान दे रहा है जिसे मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरूआत में मंजूरी दी। प्रस्तावित नई औद्योगिक नीति का मकसद उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देना, नियामकीय बाधाओं को दूर करना तथा भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाना है। विभाग ने नई औद्योगिक नीति तैयार करने की प्रक्रिया मई 2017 में शुरू की थी। वर्ष 1956 और 1991 के बाद यह तीसरी औद्योगिक नीति होगी।