बेंगलुरु। बीते चार दशकों से भीषण सूखे का सामना कर रहे कर्नाटक को अतिरिक्त केंद्रीय मदद की दरकार है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। कर्नाटक ने गृह मंत्रालय को सूचित किया है कि शुष्क मौसम के कारण राज्य में 15,635 करोड़ रुपये कीमत की फसल बर्बाद हो गई और 3,830 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है। सूखा प्रभावितों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से केवल 1,540 करोड़ रुपये मिले है, जिसमें 32 लाख किसान शामिल हैं।
राज्य में 30 लाख हेक्टेयर भूमि में लगी 33 फीसदी फसलें बर्बाद हो गई हैं। एक अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “हमारे दूसरे ज्ञापन को केंद्रीय समिति ने मंजूरी दी थी, जिसके मुताबिक हम अतिरिक्त 723 करोड़ रुपए के अनुदान का इंतजार कर रहे हैं। 22.33 लाख हेक्टेयर भूमि में लगी 6,733 करोड़ रुपए कीमत की फसलें बर्बाद हुई हैं और 1,417 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता मांगी गई है।”
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उन्होंने कहा, “हम केंद्र से जल्द से जल्द अतिरिक्त फंड मिलने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि अगले महीने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आने तक सूखा प्रभावित 27 जिलों में राहत कार्य को आगे बढ़ाया जाए।” नई दिल्ली में शनिवार को एक विशेष बैठक के दौरान प्रधानमंत्री से 12,272 करोड़ रुपये के अतिरिक्त अनुदान की मांग करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि साल 2015 में दूसरे साल मॉनसून कमजोर होने के कारण बीते 44 वर्षो के दौरान दक्षिणी राज्य अब तक के सबसे भयंकर सूखे से गुजर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री की बैठक से पहले राज्य सरकार ने प्रभावित जिलों के 137 तालुका में हालात का आकलन करने आए केंद्र सरकार के दल के दौरे की प्रशंसा की। अधिकारी ने कहा, “कम समय की शीत ऋतु और मॉनसून के पहले बारिश की कमी के कारण हमें अप्रैल में 61 तालुका को सूखा प्रभावित घोषित करना पड़ा, क्योंकि जमीन के अंदर पानी के स्तर के नीचे चले जाने से सब्जियां, फल व फूल उगाना तक मुश्किल हो गया है।” राज्य के कृषि मंत्री कृष्णा बिरे गौड़ा के मुताबिक, कर्नाटक में साल 2015-16 के 13.5 करोड़ टन लक्ष्य के मुकाबले 11 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ, जबकि 2014-15 के दौरान 12.6 करोड़ टन अनाज हुआ था।