नयी दिल्ली। दूरसंचार विनियामक ट्राई ने बुधवार को देश भर में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेवाओं को लाइसेंस फीस से छूट देने की अपनी सलाह की फिर से समीक्षा करने की खातिर विचार विमर्श शुरू कर दिया। ट्राई ने यह फैसला दूरसंचार विभाग द्वारा 12 मार्च को इस बात को लेकर जतायी गयी चिंता के बाद उठाया कि दूरसंचार सेवा प्रदाता छूट का दुरुपयोग कर सकते हैं।
ट्राई ने एक बयान में कहा, "दूरसंचार विभाग ने फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड से कमाए गए राजस्व पर लाइसेंस फीस में छूट जैसे कुछ नये मुद्दे उठाए। उसने मौजूदा तथ्यात्मक संरचना और संबंधित मुद्दों, लाइसेंस धारक कंपनियों द्वारा प्रस्तावित छूट की वजह से राजस्व में अनियमितता के जरिए दुरुपयोग को लेकर चिंता जतायी।" भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बढ़ाने और ब्रॉडबैंड का विस्तार करने के रोडमैप को लेकर एक पूरक विचार विमर्श पत्र जारी किया।
विनियामक ने कहा कि दूरसंचार विभाग द्वारा जतायी गयी चिंता को लेकर अप्रैल 2015 में 'तेजी से ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाना: हमें क्या करने की जरूरत है' विषय पर जारी किए गए परिचर्चा पत्र में हितधारकों के साथ खुलकर विचार विमर्श नहीं किया गया था। अगस्त 2020 में 'ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और ब्रॉडबैंड गति बढ़ाने का रोडमैप' विषय पर जारी किए गए प्रपत्र में इस पर विचार विमर्श किया गया था।
ट्राई ने 2015 में यह सिफारिश की थी कि फिक्स्ड लाइन ब्राडबैंड पर कमाई जाने वाले राजस्व पर लाइसेंस फीस से कम से कम पांच साल के लिये छूट दी जानी चाहिये। विनियामक ने 5जी सेवाएं शुरू करने को लेकर भी सिफारिश की है। हालांकि पूरक पत्र में उसने 5जी नेटवर्क शुरू करने के लिए स्ट्रीट फर्नीचर के इस्तेमाल को लेकर राय मांगी है। ट्राई ने विचार विमर्श पत्र को लेकर तीन जून तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने का कहा है और जवाबी प्रतिक्रियाओं के लिए 10 जून की समय सीमा तय की है।