नयी दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सरकार द्वारा दूरसंचार कंपनियों पर प्रस्तावित एजीआर गणना की 'परीक्षण जांच' को मानक ऑडिट प्रक्रिया बताया है। साथ ही उसने यह भी कहा है कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) को बकायों में किसी प्रकार के अंतर गणना करने के दौरान सभी सर्किलों में एकरूपता सुनिश्चित करना चाहिए।
सीओएआई ने सरकार को सावधान भी किया है कि सांविधिक बकाया न चुकाने वाली कंपनियों की बैंक गारंटी भुनाने जैसी कोई भी कार्रवाई दूरसंचार उद्योग के लिए 'विनाशकारी' होगी क्यों की इस समय बाजार में निजी क्षेत्र की केवल तीन कंपनियां ही बची हैं। सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने बताया, 'बैंक गारंटी को भुनाने जैसे कदम से हालात और बिगाड़ेंगे।' मैथ्यु ने दूरसंचार विभाग द्वारा कंपनियों पर बकायों की गणना में किसी प्रकार के अंतर की जांच के लिए 'परीक्षण जांच' को 'मानक ऑडिट प्रक्रिया' बताया है।
उन्होंने कहा कि बकाया धनराशि का निर्धारण जल्द से जल्द करना चाहिए और साथ ही ऑपरेटर्स को भी गणना को लेकर अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। मैथ्यु ने कहा कि धनराशि की गणना कैसे होगी, इस बारे में डीओटी के सभी लाइसेंस सेवा क्षेत्र (एलएसए) में एकरूपता होनी चाहिए। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह 17 मार्च से पहले औचक 'परीक्षण जांच' के जरिए एजीआर गणना पर कंपनियों के दावों की पुष्टि करेगी और अपनी गणना से किसी भी विचलन की जांच करेगी।